रतन टाटा ने कभी धोए थे जूठे बर्तन और चलाये थे फावड़े
जन्मदिन पर विशेष
जमशेदपुर (आरएनएस)। जेआरडी टाटा के बाद टाटा समूह की कमान संभालने से पहले रतन टाटा ने जीवन में कई बुरे अनुभवों का सामना किया. माता-पिता के तलाक का उनके ऊपर काफी असर हुआ. जब उनकी माता ने दूसरी शादी कर ली तो स्कूल में उन्हें तानों का भी सामना करना पड़ा.
84 साल के हो गए दिग्गज रतन टाटा
रतन टाटा का नाम दिग्गज उद्योगपतियों में शुमार है. टाटा समूह को दुनिया के सबसे विशाल कॉरपोरेट घरानों में से एक बनाने में रतन टाटा की भूमिका अहम है. उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा आकर्षण उनकी सादगी है. इतने बड़े कारोबारी साम्राज्य को दशकों संभालने के बाद भी उनकी सादगी बची हुई है. रतन टाटा के जमीन से जुड़े रहने का कारण उनकी आम लोगों की तरह हुई परवरिश है. भले ही वे पैदा राजकुमार हुए, लेकिन पढ़ाई से लेकर करियर का सफर आम लोगों की तरह उन्होंने भी संघर्षों के साये में तय किया. आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि पढ़ाई के समय उन्हें रेस्तरां में जूठे बर्तन भी धोने पड़े और उनकी शुरुआती नौकरियों में फावड़े चलाने का काम भी शामिल रहा.
आज इस दिग्गज शख्सियत का जन्मदिन है. रतन टाटा आज ही के दिन 1937 में पैदा हुए थे. जेआरडी टाटा के बाद टाटा समूह की कमान संभालने से पहले रतन टाटा ने जीवन में कई बुरे अनुभवों का सामना किया. माता-पिता के तलाक का उनके ऊपर काफी असर हुआ. जब उनकी माता ने दूसरी शादी कर ली तो स्कूल में उन्हें तानों का भी सामना करना पड़ा. इस बारे में कुछ समय पहले रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किया था. वह बताते हैं कि अपनी दादी से मिली सीख के कारण वह ऐसी परिस्थितियों को इग्नोर कर आगे बढ़ जाते थे.
रतन टाटा की उच्च शिक्षा अमेरिका के कॉरनेल यूनिवर्सिटी से हुई, जहां उन्होंने आर्किटेक्चर की डिग्री ली. उन्हीं दिनों की बात है जब रतन टाटा को जहाज उड़ाने का शौक सवार हुआ. अमेरिका में उन दिनों फीस भरकर विमान उड़ाने की सुविधा देने वाले सेंटर खुल चुके थे. उन्हें अपना यह शौक पूरा करने का सुनहरा अवसर मिला. दिक्कत थी तो सिर्फ पैसों की, क्योंकि तब उन्हें इतने पैसे मिलते नहीं थे कि फीस भर सकें. विमान उड़ाने की फीस जुटाने के लिए उन्होंने कई नौकरियां की. इसी दौरान उन्होंने कुछ समय के लिए रेस्तरां में जूठे बर्तन धोने की भी नौकरी की.
फावड़े चलाने से शुरू हुआ टाटा में करियर
परिवार के व्यवसाय से जुडऩे से पहले उन्होंने अमेरिका में दो साल तक एक आर्किटेक्चर कंपनी में नौकरी की. जब 1962 में वह समूह से जुड़े तो उन्हें पहली नौकरी टेल्को (अब टाटा मोटर्स) के शॉप फ्लोर पर मिली. इसके बाद उन्होंने टाटा स्टील के साथ करियर की शुरुआत की. टाटा स्टील में उनकी पहली नौकरी ब्लास्ट फर्नेस टीम में काम करने की थी. इस काम में रतन टाटा फावड़े चलाकर चूना पत्थर उठाया करते थे
जेआरडी की विरासत को ऐसे बढ़ाए आगे
धीरे-धीरे अपनी योग्यता के दम पर वह टाटा समूह में एक-एक पायदान ऊपर चढ़ते गए. वह 1981 में टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बनाए गए और उन्हें जेआरडी का उत्तराधिकारी चुन लिया गया. जेआरडी टाटा जब 1991 में रिटायर हुए तो रतन टाटा को पूरे टाटा समूह की जिम्मेदारी मिल गई. वह 2012 तक इस पद पर बने रहे. इस दौरान उनकी अगुवाई में टाटा समूह का रेवेन्यू 100 बिलियन डॉलर के पार निकल गया.
टाटा के खाते आ गईं कई दिग्गज यूरोपीय कंपनियां
रतन टाटा को कॉरपोरेट जगत में रिवर्स कॉलोनियलिज्म के लिए भी जाना जाता है. भारत के गुलाम बनने के इतिहास में ईस्ट इंडिया कंपनी के चाय के कारोबार की बड़ी भूमिका है. रतन टाटा ने ब्रिटेन के फेमस टी ब्रांड टेटली को 2000 में खरीदकर टाटा समूह का हिस्सा बना दिया. यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, बल्कि 2007 में उन्होंने एंग्लो-डच कंपनी कोरस ग्रूप को और 2008 मेंजगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया.
100 से अधिक देशों में फैला है टाटा का कारोबार
टाटा संस और टाटा ग्रूप के रतन टाटा की अगुवाई में समूह की कंपनियों का कारोबार लगातार बढ़ रहा है. हाल ही में टाटा समूह ने सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को अपने नाम किया है. यह इस कारण खास हो जाता है कि एयर इंडिया की जड़ें टाटा समूह के बगीचे में ही फली-फूलीं. अभी टाटा समूह की कंपनियां 100 से अधिक देशों में सूई से लेकर टैंक तक का कारोबार कर रही हैं. समूह की 29 कंपनियां ओपन मार्केट में लिस्टेड हैं, जिनका सम्मिलित एमकैप 242 बिलियन डॉलर है.