Site icon RNS INDIA NEWS

रामविलास पासवान की विरासत लोजपा का विभाजन

चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न और नाम भी बदले

नई दिल्ली (आरएनएस)। दलित राजनीति के बड़े चेहरे रहे रामविलास पासवान की विरासत उनके निधन के एक साल के बाद ही बंट गई है। चुनाव आयोग ने लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है।
सूत्रों के अनुसार अब पुराना नाम और चुनाव चिह्न भी खत्म कर दिया है। अब चिराग पासवान की लीडरशिप वाले धड़े का नाम लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। इस दल को हेलिकॉप्टर चुनाव चिह्न आवंटित दिया गया है। इसके अलावा उनके चाचा और रामविलास पासवान के सगे भाई पशुपति कुमार पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी होगा। इस दल को सिलाई मशीन चुनाव चिह्न दिया गया है। चुनाव आयोग की ओर से जारी लेटर में बताया गया है कि चिराग पासवान की पार्टी का नाम अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। इसके अलावा उनकी पार्टी को चुनाव चिह्न के तौर पर हेलिकॉप्टर दिया गया है। वहीं उनके चाचा की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी रख दिया गया है। उन्हें सिलाई मशीन चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है। इसके साथ ही दोनों गुटों के बीच पार्टी को लेकर दावे की लड़ाई अब खत्म होती दिख रही है। हालांकि चिराग पासवान की पार्टी के नाम रामविलास जुड़ गया है, जिससे उन्हें चुनावी समर में पिता की विरासत के आधार पर वोट मांगने में मदद मिल सकती है।
गौरतलब है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही उनके बेटे चिराग और भाई पशुपति पारस के बीच मतभेद उभर आए थे। यही नहीं लोजपा ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था और एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इसके बाद पार्टी में मतभेद गहरे होते चले गए। पशुपति कुमार पारस के गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से ही हटा दिया था। तब से ही दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा कर रहे थे। यह लड़ाई चुनाव आयोग तक भी पहुंची थी, जिसने अब यह फैसला दिया है। उम्मीद की जा रही है कि पार्टी पर दावेदारी को लेकर दोनों दलों के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद अब खत्म हो सकेगा।


Exit mobile version