पहाड़ ने मतदान को लेकर फिर किया मायूस, 21 सीटों पर 50 प्रतिशत से कम मतदान

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखंड में कम मतदान प्रतिशत के पीछे एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों में मतदाताओं की बेरुखी अहम वजह बनी है। यूं तो इस बार पूरे प्रदेश में ही औसत से कम मतदान हुआ है, लेकिन इसमें भी पहाड़ की 36 में से 33 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां प्रदेश के औसत से कम मतदान हुआ।  जबकि मैदान में औसत से कम मतदान वाली सीटों की संख्या सिर्फ आठ है। प्रदेश में पूरी तरह पहाड़ी भूभाग वाली विधानसभा सीटों की संख्या 36 है। इनमें से सिर्फ तीन पुरोला, केदारनाथ और चम्पावत में ही प्रदेश के औसत से अधिक मतदान हो पाया है।   पहाड़ में सबसे कम मतदान अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा में हुआ, जहां अंतिम आंकड़ा 32 प्रतिशत तक पहुंच पाया। पहाड़ में 10 सीटें ऐसी हैं, जहां मतदान प्रतिशत 45 प्रतिशत तक भी नहीं छू पाया है। दूसरी तरफ मैदानी भूभाग वाली सीटों की संख्या 34 है।  इनमें से औसत से कम मतदान वाली सीटों की संख्या सिर्फ आठ है। इस तरह मैदान में मिली बढ़त पहाड़ पहुंचते-पहुंचते घट जाती है।

21 सीटों पर 50 प्रतिशत से कम मतदान :  एसडीसी फाउंडेशन के अध्ययन के मुताबिक राज्य की 21 सीटों पर पचास प्रतिशत से कम मतदान हुआ है। इसमें 20 सीटें पहाड़, जबकि मैदान की एक मात्र सीट देहरादून में राजपुर रोड शामिल है। फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के मुताबिक इसमें सल्ट, घनसाली, प्रतापनगर, टिहरी, लैंसडाउन, चौबट्टाखाल, देवप्रयाग, यमकेश्वर, रानीखेत, अल्मोड़ा, धनोल्टी, पौड़ी, नरेंद्रनगर, जागेश्वर, द्वाराहाट, गंगोलीहाट, लोहाघाट, सोमेश्वर, धारचुला, डीडीहाट शामिल है।
देहरादून की राजपुर रोड सीट पर इस बार 49.38 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसी सीट पर सचिवालय और मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय आता है। मुख्य सचिव सहित कई आईएएस और डीजीपी सहित कई आईपीएस अधिकारी इसी सीट के मतदाता हैं। शहर का सबसे पॉश इलाका इसी सीट पर है, फिर भी मतदान प्रतिशत नहीं बढ़ पाया।
राज्य के मत प्रतिशत में मैदान-पहाड़ का अंतर एक स्थायी ट्रैंड बन चुका है। निर्वाचन मशीनरी के पास हर सीट, हर बूथ पर मतदान के स्पष्ट आंकड़े हैं। इनका अध्ययन कर इस ट्रेंड को बदले जाने के लिए ठोस काम किया जाना चाहिए।    -अनूप नौटियाल, संस्थापक एसडीसी फाउंडेशन