पुरानी आयुध फैक्ट्रियों के निजीकरण पर उठा सवाल

हजारों कर्मचारियों ने किया विरोध
नई दिल्ली (आरएनएस)। केंद्र सरकार तेजी से पीएसयू कंपनियों के विनिवेश की ओर बढ़ रही है। इसी बीच उसने देश की 219 वर्ष पुरानी आयुध फैक्ट्रियों को कारपोरेशन या पब्लिक सेक्टर कंपनी का दर्जा देने की तरफ कदम उठाया है। लेकिन इन कंपनियों के 79 हजार कर्मचारी सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सरकार पहले तो इन्हें पब्लिक सेक्टर की कंपनी बनाएगी। बाद में इन्हें वर्तमान पीएसयू की तरह विनिवेश करते हुए निजी हाथों को सौंप दिया जाएगा।
ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉयीज फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी सी. श्रीकुमार ने कहा कि केंद्र सरकार को एक आदर्श नियोक्ता के रूप में जाना जाता है, लेकिन वर्तमान में सरकार अपने कर्मचारियों के हितों की पूरी तरह अनदेखी कर रही है। सरकार इतने महत्वपूर्ण सेक्टर को कारपोरेशन या पीएसयू का दर्जा देना चाहती है। इससे बाद में इन कंपनियों के निजी हाथों में जाने का रास्ता तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आय़ुध फैक्ट्रियों में काम कर रहे देश भर के 79 हजार कर्मचारियों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करने का निर्णय लिया है।
आयुध कर्मचारियों का यह विरोध ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्र सरकार की एम्पॉवर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक मंगलवार को होने वाली थी। इस ग्रुप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और श्रम मंत्री संतोष गंगवार और जितेंद्र सिंह शामिल हैं। उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों की इस बैठक के दौरान आयुध फैक्ट्रियों के कारपोरेशन में तब्दील करने से संबंधित तमाम मोडालिटीज पर विचार किया जाना था। केंद्र सरकार पश्चिमी देशों की तर्ज पर रक्षा उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में देश को मजबूत बनाना चाहती है। इसके लिए आयुध निर्माण के क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों की भूमिका बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार इन उद्योगों को तकनीकी के साथ-साथ वित्तीय मदद भी उपलब्ध करा रही है। लेकिन सरकार की इस सोच के बीच आयुध फैक्ट्रियों के कर्मचारियों को लग रहा है कि इसमें उनके हितों की अनदेखी हो सकती है।