
देहरादून (आरएनएस)। प्रधानाचार्य सीधी भर्ती को लेकर जारी विवाद के बीच शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने आदेश जारी करते हुए परीक्षा में शामिल होने के लिए एनओसी देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही उन शिक्षकों की एनओसी निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं, जो भर्ती परीक्षा के खिलाफ आंदोलन में शामिल हैं।
शिक्षा महानिदेशक ने सोमवार को सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा कि जिन शिक्षकों ने परीक्षा में शामिल होने के लिए एनओसी ली है, वे किसी भी रूप में आंदोलन में नज़र आएं तो उनकी वीडियो निगरानी कर चिन्हित किया जाए और उनकी एनओसी तत्काल रद्द कर दी जाए। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू करने के आदेश दिए गए हैं।
विभाग के इस फैसले पर राजकीय शिक्षक संघ भड़क गया है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि दमनकारी रवैया जारी रहा तो शिक्षक शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव करेंगे और आमरण अनशन पर बैठेंगे। प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश पैन्यूली ने संयुक्त बयान में कहा कि 99 प्रतिशत शिक्षक प्रधानाचार्य सीधी भर्ती के खिलाफ आंदोलनरत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग समस्याओं के समाधान की बजाय शिक्षकों को भड़काने और दबाने का काम कर रहा है।
शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि विभाग पहले से ही वरिष्ठता से जुड़ी गड़बड़ियों को ठीक करने में नाकाम रहा है और अब शिक्षकों पर दमनकारी कदम उठा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि शिक्षक किसी भी सूरत में पीछे हटने वाले नहीं हैं।
संघ ने जिलों में चुनाव की अनुमति न दिए जाने पर भी नाराजगी जताई है। आरोप लगाया गया कि जिला कार्यकारिणियों को नोटिस जारी कर दबाव बनाया जा रहा है, जबकि जिला शिक्षा अधिकारियों से चुनाव करवाने की अनुमति मांगी जा रही है, परंतु अधिकारी अनुमति नहीं दे रहे। प्रदेश कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़ाने की सूचना जून माह में ही शिक्षा महानिदेशक को दी जा चुकी है।