पूर्व जिपं अध्यक्ष ने जंगल में सरकारी अस्पताल खोलने के औचित्य पर किए सवाल खड़े

विकासनगर। तहसील क्षेत्र अंतर्गत एक अस्पताल ऐसा भी जहां अगर स्वास्थ्य कर्मी नियमित तौर पर मौजूद भी रहें तो अस्पताल तक पहुंचने में मरीजों की ही सांस फूलने लग जाएगी। हालांकि मुख्य मार्ग से तीन किमी दूर जंगल में बने इस अस्पताल को जाने वाले रास्ते को देखकर ही लगता है कि इस पर इंसान तो दूर कई साल से पशुओं ने भी आवागमन नहीं किया होगा। जाहिर है जंगल और झाड़ियों से होकर अस्पताल में उपचार के लिए कभी कोई मरीज जाता ही नहीं है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि चकराता क्षेत्र के ही एक जनप्रतिनिधि ने यह आरोप लगाया है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रामशरण नौटियाल ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अस्पताल का वीडियों और फोटो साझा करते हुए कहा कि त्यूणी और आसपास के बाशिंदों को स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए मुख्य मार्ग से तीन किमी दूर जंगल में राजकीय एलोपैथिक अस्पताल खोला गया। इसके लिए करोड़ों की लागत से भवन का निर्माण हुआ। भवन निर्माण के बाद अस्पताल में एक एलोपैथिक और एक आयुर्वेदिक चिकित्सक की तैनाती के साथ ही फार्मासिस्ट समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई, लेकिन इस अस्पताल में जाने पर पता चलता है कि यहां कभी कोई आता ही नहीं है। आरोप लगाया कि अस्पताल में हर समय ताला लटका रहता है। एलोपैथिक चिकित्सक का तबादला अन्यत्र कर दिया है, जबकि अन्य स्टाफ भी अस्पताल से नदारद रहते हैं। उन्होंने कहा कि जंगल से होकर अस्पताल को जाने वाले रास्ते पर झाड़ियां उगी हुई हैं। अस्पताल परिसर में भी भांग की पौध जमी हुई है। कहा कि अगर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मी मौजूद भी रहें तो भी तीन किमी की पगडंडी पर चलकर उपचार के लिए पहुंचना मरीजों के लिए मुश्किल भरा है। बुजुर्गों की अस्पताल तक पहुंचने में ही सांस फूलने लगती है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने बस्ती और मुख्य मार्ग से दूर जंगल में सरकारी अस्पताल खोलने के औचित्य पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी धन की बर्बादी की गई है। उधर, पीएचसी त्यूणी के प्रभारी चिकित्साधिकारी ने कहा कि डॉ. नरेंद्र राणा ने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सक और फार्मासिस्ट अस्पताल में तैनात हैं।

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