पीओके को वापस लेने के बाद ही जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय पूरा होगा : राजनाथ सिंह

श्रीनगर (आरएनएस)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर की धरती से एलान किया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लेने के बाद ही जम्मू- कश्मीर का भारत में विलय पूरा होगा। जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय और वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर को कबाइलियों के हमले से बचाने के लिए भारतीय सेना को वहां पहुंचाये जाने की याद में मनाये जाने वाले  शौर्य दिवस के अवसर पर यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने कहा  यह यात्रा तभी पूरी होगी जब हम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के ,अन्य हिस्सों के साथ गिलगित बाल्टिस्तान को भी वापस ले लेंगे। राज्य का विशेष दर्जा खत्म किये जाने के बाद यहां एक नयी शुरूआत हुई है, यह तो बस शुरूआत भर है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब एक के बाद एक विकास के नये आयामों को छुऐंगे। लेकिन यहां मैं कहना चाहूंगा कि हमने इन क्षेत्रों का विकास अभी शुरू ही किया है और अब हम उत्तरी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, हमारी यात्रा तब पूरी होगी जब भारतीय संसद में 22 फरवरी 1949 को सर्वसम्मति से पारित किये गये प्रस्ताव को लागू कर देंगे और उसके हिसाब से बाकी बचे हिस्सों जैसे गिलगित और बाल्टिस्तान के साथ दूसरे हिस्सों को भी अपनी ज़द में ले आयेंगे।
सोनिया,आशारक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा  मैं पाकिस्तान से सवाल करना चाहता हूं कि उसने कश्मीर के जिस हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा जमाया हुआ है वहां के लोगों को कितने अधिकार दिये हैं। पाकिस्तान जो मानवाधिकारों के नाम पर घडिय़ाली आंसू बहता है ,वह उसके कब्जे वाले इलाके के लोगों की कितनी चिंता करता है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पीओके के लोगों के खिलाफ क्रूरता दिखाता है। सिंह ने कहा कि जम्मू -कश्मीर के देश का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद यहां के लोग राजनीति के शिकार हैं । उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया गया है। एक ओर इस क्षेत्र की आजादी को धरती का स्वर्ग बताया जाता है तो दूसरी ओर इस भावना ने स्वार्थी राजनीति के सामने दम तोड़ दिया है।
उन्होंने कहा  इस क्षेत्र को लंबे समय से अंधकार में रखा गया है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में विकास की नयी बयार बही है। इससे पहले यहां हुई जबरदस्त हिंसा का शिकार अनगिनत जिंदगियां हुईं और अनगिनत घर बरबाद हुए। इसके कारण एक ही देश में दो विधान काम कर रहे थे । केंद्र सरकार की कितनी ही लाभकारी योजनाएं पंजाब की सीमा पार करके इस राज्य तक नहीं पहुंच पायीं। धर्म के नाम पर अनगिनत लोगों का खून बहाया गया।