कोर्ट ने लगाई पीएम मोदी की उड़ानों का खुलासा करने वाले आदेश पर रोक

नई दिल्ली (आरएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें भारतीय वायुसेना को स्पेशल फ्लाइट रिटर्न (एसआरएफ)- संबंधी जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया गया था, इसमें प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा के दौरान उनके साथ गए लोगों की भी जानकारी शामिल है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि आरटीआई आवेदक द्वारा मांगी गई प्रधानमंत्री के साथ गए मंत्रालय और विभागों के अधिकारियों की विस्तृत जानकारी, सार्वजनिक नहीं की जा सकती, लेकिन यात्रियों और उड़ानों की संख्या बताने से कोई नुकसान नहीं होगा। अदालत ने आरटीआई आवेदक कमोडोर (अवकाश प्राप्त) लोकेश के बत्रा को भी नोटिस जारी कर सीआईसी के आठ जुलाई को दिए निर्देश के खिलाफ वायुसेना की अपील पर उनकी राय पूछी। इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल 2021 तक स्थगित कर दी और सीआईसी के निर्देश पर अमल करने पर तब तक के लिए रोक लगा दी। अदालत ने टिप्पणी की कि सीआईसी को इस बारे में अधिक स्पष्ट होना चाहिए कि कौन सी सूचना मुहैया कराई जा सकती है और किन सूचनाओं को सूचना के अधिकार कानून से अलग रखा गया है। वायुसेना का पक्ष केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के पैनल में शामिल राहुल शर्मा और अधिवक्ता सीके भट्ट ने रखा। वायुसेना ने अदालत में सीआईसी के निर्देश का विरोध करते हुए ‘विरोधाभासी’ करार दिया क्योंकि इसमें कहा गया है जो सूचना मांगी गई है वह आरटीआई कानून के दायरे से परे है लेकिन निर्देश दिया कि प्रधानमंत्री के साथ गए सुरक्षा अधिकारियों के नाम और पद सहित संवेदनशील जानकारी हटा कर यह सूचना दी जाए।
उल्लेखनीय है कि सीआईसी ने वायुसेना को निर्देश दिया है कि वह संबंधित एसआरएफ-ढ्ढ और एसआरएफ-ढ्ढढ्ढ की सत्यापित प्रति आरटीआई आवेदक बत्रा को दे। बत्रा ने अपने आवेदन में अप्रैल 2013 से अब तक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रत्येक विदेश यात्रा से जुड़ी एसआएफ की सत्यापित प्रति मुहैया कराने की मांग की है। वायुसेना ने अदालत को बताया कि उसने एसआरएफ की सूचना मुहैया करा दी है जिसमें प्रधानमंत्री के विमान के साथ जाने वाले परिचालन दल के सदस्यों और अन्य की संख्या की जानकारी है लेकिन एसआरएफ की जानकारी मुहैया नहीं कराई जा सकती क्योंकि इसमें विमान में सुरक्षा प्रतिष्ठानों और अन्य विभाग के अधिकारियों के नाम और पद की जानकारी है।
वायुसेना ने कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए विमान में सवार जवानों की संख्या की जानकारी देती है तो भी इससे पता चल जाएगा कि किसी यात्रा पर कितने लोग होते हैं और इसका इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी ताकतें अपनी रणनीति या कार्ययोजना के लिए कर सकते हैं। अदालत ने हालांकि कहा कि प्रधानमंत्री के साथ जाने वाले यात्रियों की संख्या बताने से सुरक्षा पर असर नहीं होगा क्योंकि कई गैर सैनिक जैसे पत्रकार आदि भी उनके साथ जाते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि मंत्रालय या सुरक्षा अधिकारियों के नाम और पद की जानकारी नहीं दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति ने कहा कि सीआईसी ने वायुसेना पर छोड़ा है कि वह फैसला करे कि एसआरएफ की कौन सी सूचना मुहैया कराए। उल्लेखनीय है कि वायुसेना ने अपनी याचिका में दावा किया है कि प्रधानमंत्री के साथ विदेश यात्रा पर जाने वाले सभी लोगों जिनमें उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए विशेष रक्षा समूह (एसपीजी) कर्मियों के नाम और पद की जानकारी शामिल है, मांगी गई है और इससे देश की संप्रभुत्ता और अखंडता प्रभावित हो सकती है। इसके साथ ही देश की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक और आर्थिक हित भी प्रभावित हो सकते हैं।

Powered by myUpchar

error: Share this page as it is...!!!!
Exit mobile version