Pithoragarh । मुनस्यारी महोत्सव में बिखरे लोक संस्कृति के रंग, स्थानीय जड़ी-बूटियों की रही खासी मांग

पिथौरागढ़ : शून्य डिग्री तापमान पर पर्यटन नगरी में आयोजित महोत्सव में लोक संस्कृति के रंग बिखरे। विभिन्न कलाकारों ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए, जिसका आनंद लेने कड़ाके की ठंड के बाद भी दर्शकों की भीड़ जुटी रही।

मुनस्यारी महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रमों की धूम रही। महोत्सव की शाम प्रसिद्ध गायक कैलाश कुमार व कमलजीत ढकरियाल के नाम रही। दोनों गायकों ने कुमाउंनी, नेपाली गीतों के साथ फिल्मी गीतों से समा बांधा।

कैलाश कुमार ने हुस्न पहाड़ों का गीत गाकर हिमनगरी की सुंदरता पर चार चांद लगाए। दर्शकों ने इस गीत को जमकर सराहा। कमलजीत ढकरियाल ने सूफियाना गीत तू माने या ना माने गीत गाकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

इन गीतों की धुन पर दर्शक जमकर थिरके। इसके अलावा विभिन्न स्कूली बच्चों ने मनमोहक गीतों की प्रस्तुति दी। दर्शकों ने तालियों से उनका उत्साह बढ़ाया। कड़ाके की ठंड के बीच रंगारंग कार्यक्रमों का आनंद लेने भारी संख्या में दर्शकों की भीड़ जुटी रही।

जमकर बिके गर्म कपड़े 

मुनस्यारी महोत्सव में गर्म कपड़ों की जमकर बिक्री हुई। स्थानीय ऊनी उत्पाद मफलर, टोपी, कंबल, शॉल को लोगों ने जमकर पसंद किया। कड़ाके की ठंड के बीच इन उत्पादों की जमकर खरीदारी हुई। दुकानों में खरीदारों की भीड़ जुटी रही। अच्छी बिक्री होने से कारोबारियों के चेहरे खिले रहे।

स्थानीय जड़ी-बूटियों की रही खासी मांग

महोत्सव में स्थानीय जड़ी बूटियों की खासी मांग रही। जम्बू, डोलू, तिमूर सहित विभिन्न स्थानीय उत्पादों की जमकर खरीदारी हुई। इसके अलावा मुनस्यारी के प्रसिद्ध राजमा की खरीदारी में भी लोगों की खासी दिलचस्पी नजर आई। खरीदारों की भीड़ ने कड़ाके की ठंड में भी कारोबारियों को मुस्कुराने का मौका दिया।

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