पारंपरिक विधा और संस्कृति को बचाने को आगे आने की जरूरत

नई टिहरी(आरएनएस)। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में पांच दिवसीय ढोल-दमाऊं, साउंड ट्रैक निर्माण और मसकबीन प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पहाड़ की पारंपरिक विधा और संस्कृति को बचाने के साथ आगे बढ़ाना है। डायट में आयोजित कार्यशाला में ढोल-दमाऊं, साउंड ट्रैक निर्माण और मसकबीन प्रशिक्षण कार्यशाला में जिले सभी 9 ब्लॉक के माध्यमिक विद्यालयों के एक शिक्षक और 2 छात्रों ने प्रतिभाग किया। बताया 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रसिद्ध ढोल वादक उत्तम दास और कुलदीप ने ढोल-दमाऊं की विभिन्न ताल जैसे धुयांल, देवी नृत्य, रासों, बढै ताल आदि का छात्रों के साथ शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया। मसकबीन का प्रशिक्षण रमेश द्वारा दिया गया। कार्यशाला में छात्रों ने ढोल और मसकबीन सीखने में बड़ी उत्सुकता दिखाई दी। साथ ही विद्यालयों में प्रार्थना सभा को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न भाषाओं में गीत रचना और संगीत संयोजन से साउंड ट्रैक का निर्माण किया गया जा रहा है। प्राचार्य हेमलता भट्ट ने बताया कि वर्तमान में डायट में 22 साउंड ट्रैक का निर्माण किया गया है। जिसमें गढ़वाली, संस्कृत हिन्दी, पंजाबी, अंग्रेजी, कन्नड़ आदि कई भाषाएं शामिल हैं। जिनका उपयोग वर्तमान समय में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के विद्यालयों में प्रार्थना सभा के दौरान किया जाता है। इस मौके पर संयोजक नरेश चंद कुमाईं, विनोद पेटवाल, डॉ.वीर सिंह रावत, डॉ़ मनवीर नेगी, आनंद नेगी, दिनेश चंद रमोला, शशि भूषण सेमवाल, परमवीर कठैत, जगदंबा डोभाल, मदन मोहन सेमवाल, रजनीश नौडियाल, सुमंत पंवार,आशा भट्ट, सुनिती थापा, बबीता थपलियाल, जयकृष्ण पैन्यूली, प्रवीन रंजीता, ललित, तनुजा आदि मौजूद थे।