ऊखीमठ में पांडव नृत्य देखने पहुंच रहे दूर-दूर से लोग

रुद्रप्रयाग(आरएनएस)।  ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मन्दिर में इन दिनों पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है। पांडव नृत्य के 22 वें दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने भगवान के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। पांडव नृत्य के दौरान 17 दिसम्बर को चक्रव्यूह का आयोजन किया जाएगा। पौराणिक मान्यता है कि स्वर्ग जाते समय पांडव अलकनंदा व मंदाकिनी नदी किनारे से होकर स्वर्गारोहणी तक गए। जहां-जहां से पांडव गुजरे, उन स्थानों पर विशेष रूप से पांडव लीला आयोजित होती है। प्रत्येक वर्ष नवंबर से लेकर फरवरी तक केदारघाटी में पांडव नृत्य का आयोजन होता है। स्थानीय ग्रामीण अर्जुन रावत ने बताया कि मान्यतानुसार स्वर्ग जाने से पहले भगवान कृष्ण के आदेश पर पांडव अपने अस्त्र-शस्त्र पहाड़ में छोड़कर मोक्ष के लिए स्वर्गारोहणी की ओर चले गए थे। जिन स्थानों पर यह अस्त्र छोड़ गए थे, उन स्थानों पर विशेष तौर से पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है और इन्हीं अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य करते हैं। इस मौके पर पांडव नृत्य समिति अध्यक्ष विजय राणा, पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, कोषाध्यक्ष कुंवर सिह बर्त्वाल, सचिव राजीव भट्ट, सतेश्वर प्रसाद सेमवाल, बीर सिह बर्त्वाल, सहसचिव भगवती शैव, शिव प्रसाद, दिनेश जमलोकी, दलबीर सिंह, बीरेंद्र बर्त्वाल, प्रदीप रावत, नवीन शैव, सन्दीप बर्त्वाल आदि थे।

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