NH-74 घोटाला : पीसीएस अधिकारियों की जांच रिपोर्ट पर थमे कदम

देहरादून। NH-74 घोटाला: एनएच74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में आरोपित पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी होने के बावजूद इन्हें अभी तक चार्जशीट नहीं भेजी जा सकी है। कारण यह कि जांच अधिकारी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट का अभी शासन में अध्ययन ही चल रहा है। वहीं, कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अधिकारियों की भूमिका को देखते हुए भी जल्दबाजी नहीं की जा रही है।
उत्तराखंड में एनएच 74 मुआवजा घोटाला काफी सुर्खियों में रहा है। आयुक्त कुमाऊं की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार ने मार्च 2017 में आठ पीसीएस अधिकारियों को प्रथम दृष्ट्या दोषी माना था। इनमें से सात पीसीएस अधिकारियों तीरथ पाल सिंह, अनिल शुक्ला, डीपी सिंह, नंदन सिंह नगन्याल, भगत सिंह फोनिया, सुरेंद्र सिंह जंगपांगी और जगदीश लाल को निलंबित कर दिया गया था। एक सेवानिवृत्त पीसीएस अधिकारी के खिलाफ भी जांच की संस्तुति की गई थी। इन सभी पीसीएस अधिकारियों को चार्जशीट सौंपने के बाद मामले की जांच अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को दी गई। तकरीबन ढाई साल बाद उन्होंने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कार्मिक विभाग को सौंप दी। इस रिपोर्ट में पांच आरोपित अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। यह रिपोर्ट कार्मिक विभाग को भेजी गई, जो अभी तक इसका अध्ययन ही कर रहा है। दरअसल, सूत्रों की मानें तो प्रदेश में सरकार के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण से निपटने की हैं। इसमें अधिकारियों की बेहद अहम भूमिका है। आरोपित अधिकारी इस समय विभिन्न जिलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में शासन अभी इन्हें छेड़ने के पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि जांच रिपोर्ट पर विभाग ने आगे कोई कदम नहीं बढ़ाया है।

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