नए पेंशन कानून के विरोध में आए सिंचाई कर्मचारी

देहरादून। प्रदेश के नए पेंशन कानून के खिलाफ सिंचाई विभाग के अस्थायी से परमानेंट हुए कर्मचारियों ने भी मोर्चा खोल दिया। पेंशन कानून को एक अप्रैल 1961 से लागू करने के फैसले को कर्मचारियों ने अवैधानिक करार दिया है। उनका कहना है कि कोर्ट ने तदर्थ, वर्कचार्ज, संविदा आदि अस्थायी कर्मचारियों की पेंशन के मामले में उनकी नियुक्ति की तारीख सेवाओं की गणना करने केा आदेश दिया है। और अब सरकार, पेंशन कानून की आड़ में मौलिक नियुक्ति को आधार बना रही है।
सिंचाई विभाग के अनुसंधान व नियोजन खंड कर्मी बरखूखाल मौर्य ने इस बाबत मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजते हुए सभी पहलुओं को उठाया है। मौर्य ने कहा कि यदि पेंशन की गणना में वर्कचार्ज की सेवाओं को नहीं जोड़ा जाता तो एक बार फिर से हाईकोर्ट की शरण ली जाएगी।
मालूम हो कि सरकार ने पेंशन संबंधी विवाद के समाधान के लिए पेंशन के लिए अर्हकारी सेवा एवं विधिमान्यकरण कानून लागू किया है। इसके तहत मौलिक नियुक्ति से ही पेंशन आदि वित्तीय लाभ की गणना की जानी है। हालिया कुछ मामले में कोर्ट ने अस्थायी सेवा अवधि को भी पेंशन की गणना को भी अनिवार्य किया। इसका लाभ कई कर्मचारी ले रहे हैं।

2500 कर्मचारी आ चुके हैं पुरानी पेंशन योजना में
वर्कचार्ज सेवाओं को पेंशन के लिए अनिवार्य करने के आदेश के बाद से 2500 कर्मचारियों को नई पेंशन योजना एनपीएस से हटाकर वापस पुरानीपेंशन योजना-ओपीएस में लाया जा चुका है। प्रदेश में 817 कर्मचारियों को इसके अनुसार पेंशन भी दी जा चुकी है। 190 वर्कचार्ज कर्मियों के पेंशन मामले संशोधित किए गए हैं। एनपीएस में आए कार्मिकों के जीपीएफ खाते में अब तक 74.69 करोड़ रुपये जारी भी किए जा चुके हैं। पेंशन कानून के लागू होने के बाद उठ रहे विवाद पर निदेशक संजय तिवारी ने इस बाबत सरकार से दिशानिर्देश मांगे हैं।