मजबूरी में कम दाम पर गन्ना बेच रहे किसान

रुड़की(आरएनएस)।  चीनी मिल चलने में अभी लगभग एक महीना बाकी है। उधर, किसानों को पशुओं के लिए हरे चारे की फसल बोनी है। पर उनके खेत खाली नहीं हैं। ऐसे में खेत खाली करने के लिए वे पेड़ी (मूंढा) गन्ना काटकर चर्खी, कोल्हू में औने पौने भाव पर बेचने को मजबूर हैं। क्षेत्र के 95 प्रतिशत किसान खेतीबाड़ी करने के साथ ही दुधारू पशु भी पालते हैं। अक्टूबर के महीने में पशुओं के हरे चारे के लिए बरसीम की फसल बोई जाती है। बरसीम ऐसी फसल है, जो काटने के बाद फिर मौलती रहती है और इसे कई बार कटकर पशुओं को खिलाया जा सकता है। इसलिए किसान चारे के तौर पर इसे ज्यादा बोते हैं। अब किसानों को इसकी बुआई करनी है, लेकिन अभी उनके खेत खाली नहीं हैं। किसान राज सिंह, नवाब सिंह, सुभाष चंद ने बताया कि बरसीम की बुवाई बहुत जरूरी है। इसलिए उन्हें मजबूरी में अपने खेतों में खड़ी पेड़ी (मूंढा) गन्ने की कटाई करनी पड़ रही है।


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