महंगाई से शादियों की रौनक पड़ने लगी है फीकी

देहरादून। पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफे के बाद बढ़ती महंगाई ने शादी का जश्न भी फीका कर दिया है। लगातार बढ़ती महंगाई ने जनता की कमर तोड़ दी है। खाद्य तेल से लेकर विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के दाम बेतहाशा बढ़ चुके हैं। इससे लोगों का बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। बढ़ती महंगाई देख लोगों ने खर्चों में कटौती करना शुरू कर दिया है।

सहालग में इसका असर देखा जा सकता है। शादी-बारातों में लोगों ने खर्चे 20 फीसदी तक घटा दिए हैं। इससे वेडिंग प्लानर, बारात घर, कैटरिंग, टेंट हाउस, डेकोरेशन आदि कारोबार प्रभावित हो रहा है। लोगों ने बारातों में खिलाए जाने वाले पकवान भी कम कर दिए हैं। डेकोरेशन:शादी-बारातों में होने वाले फूलों के डेकोरेशन में लोगों ने सबसे अधिक कटौती की है। जहां लोग पहले स्टैंडर्ड किस्म की डेकोरेशन डिमांड करते थे, वो अब मामूली डेकोरेशन की मांग कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें अब स्टैंडर्ड के दामों में साधारण डेकोरेशन ही मिल रही है। तमाम बारात घरों में 70 हजार से डेढ़ लाख तक का डेकोरेशन मॉडल है, मगर लोग इसमें भी कटौती कर रहे हैं।

पकवान: शादियों में भोजन होने से पहले स्नैक्स बंटता है, जिसे बनाने में मेहनत और तेल के साथ मसाले, सब्जी आदि भारी मात्रा में लगते हैं। उसमें करीब 80 फीसदी कटौती हो गई है। अधिकांश बारातों में अब केवल जलजीरा ही पिलाया जा रहा है। विभिन्न पकवानों में भी कटौती की गई है। तीन से अधिक किस्म की दालों की जगह लोग अब एक ही किस्म की दाल के साथ पनीर खिलाना पसंद कर रहे हैं।

स्वीट डिश: भोजन करने के बाद का रिवाज है कि लोगों को स्वीट डिश खिलाई जाए। यहां लोगों को खीर, गाजर का हलवा, गुलाब जामुन, आईस्क्रीम आदि मिलती है। मगर लोग अब इतना सभी बनवाने के बजाए केवल एक या दो ही स्वीट डिश खिला रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि लोगों ने गुलाब जामुन में सबसे अधिक कटौती की है। जबकि आईस्क्रीम भी अब सीमित कर दी है।

मैन पावर: बगैर कारीगरों और कर्मचारियों के किसी बारात को निपटाना बेहद मुश्किल हो जाता है। खाना बनाने से लेकर खिलाने के लिए पूरी टीम का होना जरूरी है। मगर अब पकवानों के कम होने से मैन पावर भी घट गई है।  जहां चार प्रकार के स्नैक्स बनाने के लिए दो लोग लगते थे, वहां अब महज दो किस्म के स्नैक्स एक ही कर्मचारी से बनवाए जा रहे हैं।

महंगाई के चलते कम बजट में काम करना पड़ रहा है। पकवान कम हुए तो टीम भी कम करनी पड़ रही है। लोग मामूली डेकोरेशन करवा रहे हैं। महंगाई ने लोगों के साथ व्यापारियों का भी बजट बिगाड़ दिया है।
सुनील यादव, स्‍काई  गार्डन

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