मांगों को लेकर आशा फैसिलिटेटर मुखर

देहरादून। आशा फैसिलिटेटरों ने 20 दिन की मोबिलिटी के बजाए 30 दिन के निश्चित मानदेय के लिए आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने 24 हजार मानदेय की मांग उठाई है। दो दिन की जैन मंदिर धर्मशाला प्रिंस चौक में प्रांत स्तर की बैठक में गुस्सा जाहिर कर मांग पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी। संगठन की प्रदेश महामंत्री रेनू नेगी ने कहा कि आशा फैसिलिटेटर एनएचएम के अन्तर्गत फील्ड वर्कर के पद पर कार्यरत हैं। जो 2007 से 2010 तक आशा के पद पर अपने-अपने गांवों में कार्यरत थी। 2010 में शासनादेश के आधार पर योग्यतानुसार नियुक्ति आशा फैसिलिटेटर के पद पर कर दी गई हमारा कार्य 15 से 30 आशाओं व 12 से 15 ग्राम पंचायतों को देखना होता है। लेकिन मानदेय के नाम पर न्यूनतम मंजूरी 20 विजिट के आधार पर दी जाती है। जबकि काम हम से पूरे माह का लिया जाता है। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग और कोविड-19 में लगातार काम कर रही हैं। 20 दिन की मोबिलिटी के स्थान पर 30 दिन का निश्चित मानदेय 24 हजार दिया जाय। कोविड-19 में किये गये कामों के लिए सम्मानजनक मानदेय दिया जाए। आशा फैसिलिटेटरों को 2017 का जून, जुलाई एवं अगस्त का मोबिलिटी भुगतान तुरंत किया जाए। यात्रा भत्ता दिया जाए। राज्य प्रोत्साहन राशि एक हजार से दो हजार किये जाने पर भी आक्रोश जताया और इसे झुनझुना थमाना बताया। कहा कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान पौड़ी गढ़वाल जिला अध्यक्ष संजू रावत, जिला मंत्री किरण चंदोला, उत्तरकाशी से ज्योति सहगल, सीमा बिष्ट, रीना नोटियाल, हरिद्वार से मोनिका, देहरादून से लक्ष्मी शर्मा संगीता रानी आदि मौजूद रहे।