लोकतंत्र का गला घोंटकर बचाई गई थी एक महिला प्रधानमंत्री की कुर्सी : गौतम
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दुष्यंत गौतम ने आपातकाल को बताया काला दिन
महासमुंद (आरएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दुष्यंत गौतम ने आपातकाल को आजादी के बाद का सबसे काला दिवस बताया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में 26 जून को न केवल संविधान का गला घोंटकर एक महिला प्रधानमंत्री की कुर्सी लोकतंत्र को ताक में रखकर बचाई गई बल्कि, विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया। वहीं, मीडिया की स्वतंत्रता को भी छीनने का काम किया गया। इसके अलावा देश के बहुसंख्यक वर्ग की जबरन नसबंदी भी कराई गई।
वर्चुअल प्रेस कांफ्रेस में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री गौतम ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का काला दिवस बताते हुए कहा कि 1975 में आज ही के दिन कांग्रेस ने सत्ता के स्वार्थ व अंहकार में देश पर आपातकाल थोपकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। असंख्य सत्याग्रहियों को रातों रात जेल की कालकोठरी में कैद कर प्रेस पर ताले जड़ दिए गए। नागरिकों के मौलिक अधिकार छीनकर संसद व न्यायालय को मूकदर्शक बना दिया। मन की बात का जिक्र करते हुए श्री गौतम ने कहा कि प्रधानमंत्री हर मन की बात में नए से नए विषयों को लेकर और उससे होने वाले परिवर्तन को लेकर छोटी-छोटी बातों को लेकर आते हैं। आज इससे पहले जितनी भी कांग्रेस सरकारें रहीं। उन्होंने जवानों के लिए कभी भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया। जबकि नरेंद्र मोदी के आते ही देश के जवान को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना काल में पूरे देश के गरीबों को फ्री अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही कोरोना से लडऩे के लिए सभी वर्ग को फ्री में वैक्सीन लगाया जा रहा है। दूसरी तरफ कांग्रेस जब-जब सत्ता में रहीं, तब-तब देश को लूटने का काम किया गया है। प्रदेश की सरकार भी पूरी तरीके से भी विफल हैं। अपने घोषणापत्र पर एक भी घोषणा पर अमल नहीं किया और लोगों को अपने हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया है। पूर्ण शराबबंदी की बात की गई लेकिन आज तक शराबबंदी नहीं की गई, जिससे महासमुंद जिले में एक मां सहित 5 बच्चे ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे देती हैं और सरकार उनके प्रति संवेदना के दो शब्द भी नहीं रख सके।
इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती सरला कोसरिया व मोतीलाल साहू, जिला संगठन प्रभारी जगन्नाथ पाणिग्रही, पूर्व राज्य मंत्री पूनम चंद्राकर, पूर्व विधायक डॉ विमल चोपड़ा, परेश बागबाहरा, त्रिलोचन पटेल, प्रीतम सिंह दीवान, रामलाल चौहान विशेष रूप से उपस्थित रहे।