लोजपा में अब पार्टी पर अधिकार की जंग

चिराग ने जताया पार्टी पर दावा , कहा संसदीय बोर्ड ही तय कर सकता है अध्यक्ष

जदयू पर मढ़ा टूट का आरोप, कहा चाचा कहते तो बना देता संसदीय दल का नेता

स्पीकर को लिखा पत्र, संसदीय दल नेता की मान्यता मामले में पुनर्विचार का किया अनुरोध

नई दिल्ली (आरएनएस)। लोजपा में टूट के बाद अब दोनों धड़ों के बीच पार्टी पर अधिकार की जंग शुरू हो चुकी है। चिराग पासवान ने पार्टी पर दावा जताते हुए कानूनी लड़ाई लडऩे की घोषणा कर दी है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिख कर पार्टी के संसदीय दल मेंं बदलाव के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है। सूरजभान को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के फैसले को अवैध बताते हुए चिराग ने कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक इस आशय का फैसला करने का अधिकार सिर्फ संसदीय बोर्ड के पास है।
पार्टी में टूट पर चुप्पी तोड़ते हुए चिराग ने इसके लिए जदयू और बिहार के सीएम नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि मैं शेर का बेटा हूं। ना मैंं पहले डरा हूं और ना ही आगे डरूंगा। पहले भी लड़ा था आगे भी लड़ूंगा। जनता मेरे साथ है। मैं लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लडऩे के लिए तैयार हूं। मैं चाहता था कि यह लड़ाई बंद कमरे तक सिमट जाए, मगर अब ये लड़ाई लंबी चलेगी और कानूनी तरीके से लड़ी जाएगी।
चाचा कहते तो बना देता संसदीय दल का नेता
चिराग ने कहा कि मैं तब अनाथ नहीं हुआ जब पापा (रामविलास पासवान) का निधन हुआ। मैं अब अनाथ हुआ हूं, जब चाचा ने साथ छोड़ा है। अगर चाचा कहते तो मैं उन्हें संसदीय दल का नेता बना देता। मगर उन्होंने जदयू और नीतीश कुमार के साथ मिल कर साजिश रची। पार्टी के संविधान के मुताबिक अध्यक्ष और संसदीय दल का नेता पद का मामला पार्टी का संसदीय बोर्ड की कर सकता है। ऐसे में संसदीय दल का नया नेता चुना जाना और कार्यकारी अध्यक्ष बनाने संबंधी दोनों ही फैसले अवैध हैं। मैंने स्पीकर को पत्र लिख कर अपने फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है।
मदद मांगनी पड़े तो काहे के राम और काहे के हनुमान
बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताया था। प्रेस कांफ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले में वह भाजपा से मदद मांगेंगे। इस पर उन्होंने कहा कि अगर हनुमान को राम की मदद मांगनी पड़े तो काहे के राम और काहे के हनुमान।


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