पानी को तरसता अल्मोड़ा का प्रवेश द्वार का गांव लोधिया

अल्मोड़ा। कहते हैं की जल ही जीवन है लेकिन जल सिर्फ पीने के लिए ही नहीं अपितु जीवन यापन हेतु व्यवसाय की आवश्यकता भी है होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे और चाय पानी की दुकानों में बिना पानी के व्यवसाय के बारे में सोचा नहीं जा सकता। अल्मोड़ा के प्रवेश द्वार लोधिया ग्राम में पानी की समस्या से लोधिया गाँव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस संकट से जूझ रहा है। लोधिया में अधिकांश सड़क से लगते हुए हिस्से के लोगों के जीवन यापन का जरिया होटल रेस्टोरेंट ढाबा, मिठाई की दुकानें आदि हैं जो कि पर्यटकों तथा सवारियों पर निर्भर हैं। लेकिन पानी की सुचारु आपूर्ति नहीं होने के कारण लोगों को जीवन यापन में दिक्कतें आ रही हैं। लोधिया में जल आपूर्ति के लिए अल्मोड़ा कोसी नदी पर निर्भरता है तथा जल संस्थान द्वारा आपूर्ति की जाती है। विगत वर्ष जुलाई माह में विधानसभा उपाध्यक्ष के साथ हुई क्षेत्रवासियों की बैठक में क्षेत्र में नियमित रूप से जलापूर्ति की बात विभागीय कर्मचारी, अधिकारियों ने कही थी लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी कभी एक दिन कभी दो दिन छोड़कर दिया जा रहा है वह भी थोड़े समय के लिए दिया जाता है।

क्षेत्र में अधिकांश लोगों की रोजी-रोटी होटल, रेस्टॉरेंट इत्यादि व्यवसायों पर निर्भर है यदि पानी ही नहीं मिलेगा तो व्यवसाय कैसे चलेंगे। व्यवसाय के लिए पानी के टैंकर मंगवाने पड़ते हैं जो कि काफी महंगे पड़ते है। व्यवसाईयों का कहना है कि अगर सरकार पानी नहीं दे सकती है तो रोजगार दे जिससे कि हमारा और परिवार की रोजी रोटी चल सके।
एक तरफ सरकार एक रुपये में पानी का कनेक्शन देने की बात करती है तथा हर घर जल का नारा देती है वहीं, दूसरी तरफ पहले से लगे हुए नलों में पानी नहीं आता, ऐसे में क्या विकास कर पाएगा उत्तराखंड?


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