श्रीअन्न को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध कराने को बड़े अभियान की जरूरत: कुलपति
श्रीनगर गढ़वाल(आरएनएस)। गढ़वाल विवि के अर्थशास्त्र विभाग में उत्तराखंड के मोटे अनाजों के माध्यम से आजीविका सृजन, उद्यमिता विकास एवं महिला सशक्तिकरण विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में चमोली, पौड़ी और रुद्रप्रयाग की 100 से अधिक महिलाओं ने प्रतिभाग किया। गढ़वाल विवि के चौरास परिसर स्थित एकेडमिक एक्टिवीटी सेंटर में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली की ओर से प्रायोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल शामिल रहीं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जैविक रूप से उत्पदित हो रहे श्री अन्न को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध करने के लिए एक बड़े अभियान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज इन उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही परंतु उत्पादक घट गया है। जिसमें एक बार ग्रामीणों को जागरूक कर इसके उत्पादन में बढ़ावा देने की जरूरत है। कहा कि उत्तराखंड पूरे हिमालय क्षेत्र के राज्य सर्वाधिक मोटे अनाजों का उत्पादन करता है लेकिन वैल्यू चैन एवं वैल्यू एडिशन ना होने की वजह से काश्तकारों से समुचित आर्थिक लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रो. नौटियाल ने कहा कि विवि का सीड साइंस विभाग मिलेट्स के बीज तैयार करने में निरंतर शोध कार्य कर रहा है और अनेक गांवों को बीज वितरण कर लाभान्वित कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह को उत्पादन, प्रसंस्करण एवं स्टोरेज तथा मार्केटिंग आदि का प्रशिक्षण देकर इन उत्पादों की क्वालिटी को उत्तम किया जा सकता है। इस मौके पर मुख्य वक्ता प्रो. पीसी नौटियाल ने उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में मोटे अनाजों की विभिन्न प्रजातियां तथा उनके कृषिकरण एवं विज्ञान तथा तकनीकी सहायता आदि पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड पर्वतीय अर्थव्यवस्था एग्रो इकोनॉमिक्स के साथ समृद्ध बनाया जा सकता है। इस मौके पर प्रो. आरपी जुयाल तथा प्रोफेसर प्रशांत कंडारी ने अर्थशास्त्र विभाग द्वारा जनपद चमोली तथा बागेश्वर में किये सर्वेक्षण की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम के आयोजक अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एमसी सती और हैप्रेक संस्थान के निदेशक डा. विजयकांत पुरोहित ने सभी अतिथियों और कृषकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर गढ़वाल विवि के वित्त अधिकारी प्रो. एनएस पंवार, डा. संजय ध्यानी, पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके मैखुरी, लोकेश नवानी सहित आदि मौजूद थे।