कोयला खदान में पर्यावरण प्रबंधन पर दिया जोर

देहरादून(आरएनएस)। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् देहरादून में मंगलवार को साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) बिलासपुर छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के लिए वन नियम, पारिस्थितिकी और जैव विविधता पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कोल खनन में पर्यावरण प्रबंधन पर जोर दिया गया। संस्थान में परिषद् की महानिदेशक कंचन देवी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कोयला खदान भूमि के पुनर्स्थापन के साथ पर्यावरण प्रबंधन पर जोर दिया। उन्होंने वानिकी से संबंधित पारिस्थितिकी और जैवविविधता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि खनन भूमि पुनर्स्थापन में वन और उससे जुड़ी वनस्पतियों, जंतुओं का रखरखाव जरूरी है। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चार दिन चलेगा। इसमें विशेषज्ञों द्वारा वन नियमों, पारिस्थितिकी, जैवविविधता, कोयला खनित क्षेत्रों के लिए नर्सरी, पौधरोपण तकनीक, कोयला खनन वाले क्षेत्रों की पारिस्थितिकी बहाली जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान होंगे। इसके अलावा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन, कार्बन कैप्चर, कार्बन बाजार, भारत सरकार की ओर से शुरू किए गए ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रमों के बारे में वार्ता की जाएगी। मौके पर मौके पर उपमहानिदेशक(विस्तार) डा. सुधीर कुमार, सहायक महानिदेशक डा. एएन सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. विश्वजीत कुमार आदि मौजूद थे।