मानव जीवन के लिये मानवीय मूल्यों का परिज्ञान परमावश्यक: डा. ब्रजेन्द्र
हरिद्वार। श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में संस्कृत सप्ताह के तीसरे दिन व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित हुआ। वेबिनार के माध्यम से साहित्य एवं योग विषय पर व्याख्यान हुए। महाविद्यालय साहित्य विभाग के प्राध्यापक डा. ब्रजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि मानव जीवन के लिये मानवीय मूल्यों का परिज्ञान परमावश्यक है। इस मूल्य के ज्ञानाभाव में मानव मात्र रोबोट बनकर रह जाता है। केवल धन कमाना और भोजन कर जीवन की इतिश्री कर लेने वाला जीवन व्यर्थ ही जाता है। वैदिक जीवन का दर्शन ही मानवजीवन को जीवन बनाता है। इसका विवेचन संस्कृत साहित्य में वैदिक काल से लेकर काव्यों तक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। योग विभाग की प्राध्यापिका डा. संयोगिता ने कहा कि जब तक मन को नियंत्रित नहीं किया जायेगा। तब तक मनुष्य संसार चक्र से मुक्त नहीं हो पायेगा। डा. संयोगिता ने कहा कि मन को एकाग्र करने के लिये जीवन में योग को अपनाना अत्यन्त आवश्यक है। बोध्गम्य भाषा में ऐसा व्याख्यान निश्चित ही सामान्य नागरिकों के लिये लाभप्रद है। इसका अनुकरण करना अपने जीवन को सन्मार्ग पर लाने का साधन है। कार्यक्रम का संयोजन डा. निरंजन मिश्र ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में अपने-अपने स्थानों से ही डा. रविन्द्र कुमार, शिवदेव आर्य, डा. दीपक कोठारी, गौरव असवाल, नरेश कुमार, हेमा बिष्ट ने सहयोग किया।