खेत से लेकर रसोई तक पहुंची रुस-यूक्रेन युद्ध की आंच

नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब डेढ़ महीना हो चुका है। इससे दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को तगड़ा झटका लगा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। युद्ध से बाधित आपूर्ति श्रंखला और महंगे कच्चे तेल ने अब हर तबके पर असर डालना शुरू कर दिया है। बीते दो महीने में खेती से लेकर खाने-पीने के सामान पर महंगाई का असर दिखने लगा है।
महंगे फर्टिलाइजर से सब्सिडी खर्च बढ़ेगा
रूस, यूक्रेन और बेलारूस फर्टिलाइजर्स के बड़े उत्पादक हैं, लेकिन युद्ध के कारण इनकी आपूर्ति प्रभावित हुई है। इस कारण फर्टिलाइजर्स की कीमत बढ़ी है।

रूस और यूक्रेन से भारत में 10 फीसदी फर्टिलाइजर्स आता है
भारत का सब्सिडी खर्च 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है
इस साल देश में 20 फीसदी तक बढ़ी डीएपी की कीमत
2021 में 40 से 60 फीसदी बढ़े थे फर्टिलाइजर्स के दाम
रूस और यूक्रेन खाद्य तेलों के बड़े आपूर्तिकर्ता है। युद्ध की वजह से इनकी आपूर्ति नहीं हो रही है। ऐसे में सभी खाद्य तेलों के दाम बढ़ रहे हैं। हालांकि, सरसों तेल राहत दे रहा है।
90 फीसदी सनफ्लॉवर तेल का आयात रूस-यूक्रेन से
23 फीसदी बढ़ी सनफ्लॉवर तेल की कीमत दो महीनों में
11 फीसदी महंगे हुए वनस्पति-सोयाबीन तेल इस अवधि में
17 फीसदी से ज्यादा महंगा हुआ पाम तेल युद्ध के बाद
युद्ध के कारण कच्चा तेल उच्च स्तर पर चल रहा है। अब यह घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ा रहा है। इससे माल ढुलाई समेत हर वर्ग की जेब पर बोझ बढ़ा है।
10 रुपये से ज्यादा महंगे हुए पेट्रोल-डीजल 18 दिन में
100 रुपये के पार पहुंचा पेट्रोल देश के अधिकांश शहरों में
50 फीसदी बढ़ी विमान ईंधन की कीमत 2022 में अब तक
30 फीसदी तक बढ़ोतरी की संभावना माल ढुलाई में
युद्ध के कारण पैदा हुई महंगाई से घर बनाने से लेकर वाहन निर्माण तक के कच्चे माल की कीमत बढ़ गई है। वाहन निर्माता कंपनियां दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं।
5वीं बार कीमतों में बढ़ोतरी करने की तैयारी में मारुति सुजुकी
79 फीसदी हिस्सेदारी होती है कच्चे माल की वाहन की कीमत में
20 फीसदी तक बढ़ी स्टील की कीमत 2022 में अब तक
10 फीसदी महंगी हुई सीमेंट मार्च में मासिक आधार पर