कई देशों में तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन सबवैरिएंट, डब्लूएचओ ने एक्सबीबी.1.16 को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में डाला’

नई दिल्ली (आरएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमिक्रॉन सबवैरिएंट एक्सबीबी.1.16 के मामले कई देशों में लगातार बढऩे के मद्देनजर इसे कोविड-19 वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) श्रेणी में अपग्रेड कर दिया है। एक्सबीबी.1.16 एक्सबीबी का ही एक प्रकार है। एक्सबीबी दो बीए.2 के मिलने से बना है। एक्सबीबी.1.16 का पहला मामला इस साल 9 जनवरी को सामने आया था। इसे 22 मार्च को वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग (वीयूएम) की श्रेणी में शामिल किया गया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि ओपन रिसर्च प्लेटफॉर्म जीआईएसएआईडी पर अब तक भारत सहित 33 देशों से ओमिक्रॉन एक्सबीबी.1.16 वेरिएंट के 3,648 मामलों की सूचना मिली है। डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 रिस्पॉन्स की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव ने कहा, कई देशों से एक्सबीबी.1.16 के प्रसार में निरंतर वृद्धि की रिपोर्ट के बाद डब्ल्यूएचओ एक्सबीबी.1.16 को वीओआई के रूप में वर्गीकृत करता है।
वैन केरखोव ने बताया कि एक्सबीबी.1.16 शरीर में तेजी से बढ़ता है और रोग प्रतिरोधक प्रणाली से बच जाता है।
उन्होंने कहा कि हालांकि इसकी गंभीर रूप से बीमार करने की क्षमता में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है। एक्सबीबी.1.16 के फैलने से भारत में शनिवार को पिछले 24 घंटे में 12,193 नए मामले सामने आने की रिपोर्ट मिली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या बढक़र 67,556 हो गई है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हालांकि भारत और इंडोनेशिया में एक्सबीबी.1.16 से संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन यह स्तर पिछले वेरिएंट की लहरों की तुलना में बहुत कम है। डब्न्यूएचओ ने कहा कि इसके अलावा उपलब्ध जानकारी यह नहीं बताती है कि एक्सबीबी.1.16 में एक्सबीबी.1.5 या वर्तमान फैल रहे ओमिक्रॉन के अन्य वेरिएंट की तुलना में अतिरिक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम है।
उसने कहा, हालांकि, एक्सबीबी.1.16 कुछ देशों में ज्यादा दुष्प्रभाव दिखा सकता है और शरीरर के भीतर तेजी से फैलने तथा रोग प्रतिरोधक प्रणाली से बच जाने के कारण मामलों में वृद्धि हो सकती है। इस बीच, कुछ विशेषज्ञों ने उत्तरी आकाश में सबसे चमकीले तारे के नाम पर एक्सबीबी.1.16 को आर्कटूरस नाम दिया है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने अभी तक इसे कोई नाम नहीं दिया है। डब्ल्यूएचओ सिर्फ चिंताजनक वेरिएंट को ही ग्रीक लेबर प्रदान करता है। वान केरखोव ने कहा, हम इन सब वेरिएंट्स के लिए उपनामों का उपयोग नहीं कर रहे हैं, और न मैं आपको ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करूंगी।


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