कबाड़ भी काम की चीज हुआ साबित

आपके पास हुनर हो और उसका सही दिशा में उपयोग किया जाए तो कबाड़ भी काम की चीज साबित होता है। कुछ ऐसा ही बागेश्वर जिले के मेलाडुंगरी गांव की अर्चना भंडारी ने कर दिखाया है। लॉकडाउन में ऑनलाइन हस्तकला के अपने हुनर से अर्चना ने न केवल राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हस्तकला प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया, बल्कि अब वे 20 अन्य बालिकाओं को पुराने अखबार, गत्ते और बेकार पड़े सामान का सदुपयोग कर उपयोगी सामान बनाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं। कोरोना के कारण लाॅकडाउन के दौरान अर्चना ने इंटरनेट के जरिए मास्क बनाना सीखा और लोगों को बांटे भी। रक्षाबंधन के लिए अर्चना को पांच सौ रखियां बनाने की डिमांड मिल चुकी है। इन दिनों वे इन्हीं राखियों को बनाने में जुटी हैं। प्रशिक्षण में उनसे छात्राओं के साथ ही महिलाएं भी विभिन्न तरह का सजावटी सामान बनाना सीख रही हैं। गुजरात के सूरत में स्कूल में सुपरवाईजर पोस्ट पर तैनात भावना नयाल लॉकडाउन में स्कूल बंद होने पर गांव आ गई और अब वे भी हस्तकला का प्रशिक्षण ले रही हैं।