जंजीर में जकड़े कैदी पर उत्तर प्रदेश सरकार को एनएचआरसी का नोटिस

लखनऊ (आरएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर पिछले महीने एटा जिले के एक अस्पताल के बेड पर 84 वर्षीय बीमार कैदी को जंजीर से जकड़े जाने पर छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
एनएचआरसी के नोटिस में कहा गया है, ऐसे बूढ़े और बीमार कैदी को जेल में रखना इस बात का संकेत है कि राज्य में सेंटेंस रिव्यू बोर्ड खराब है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 13 मई को बाबूराम बलराम सिंह की एक तस्वीर खूब वायरल हुई थी, जिसमें कमजोर बुजुर्ग को अस्पताल के एक बेड पर लेटे हुए दिखाया गया था। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उन्हें जंजीर से बांधकर रखा गया था।
सिंह अस्पताल के गैर-कोविड -19 वार्ड में अस्पताल के बेड से बंधे पाए गए।
इसके बाद महानिदेशक (कारागार) आनंद कुमार ने जेल वार्डन को निलंबित कर दिया था और जांच के आदेश दिए थे।
हालांकि पहले यह बताया गया था कि कैदी 84 वर्ष का था, एनएचआरसी ने शिकायत के आधार पर उसकी उम्र 92 साल बताई है।
यूपी के मुख्य सचिव को भेजे गए एनएचआरसी के नोटिस में इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है कि सेंटेंस रिव्यू बोर्ड की पिछली बैठक कब हुई थी, उसके पास कितने मामले लंबित हैं और कितने मामलों में 2020 और 2019 में सजा को कम किया गया है।
एनएचआरसी ने यूपी के मुख्य सचिव से अपनी रिपोर्ट में यह भी बताने को कहा है कि बोर्ड को मामलों को रेफर करने के लिए जेलों में किस प्रणाली का पालन किया जाता है।
आयोग ने पाया कि सीआरपीसी और जेल नियमों की धारा 433 के तहत, सरकार को बोर्ड के माध्यम से सजा को कम करने का अधिकार है। ऐसे वृद्ध और बीमार कैदियों की देखभाल के बोझ से सरकार को राहत दिलाने के लिए कैदियों के मानवाधिकारों की रक्षा और जेलों में भीड़ कम करने के लिए बोर्ड के कामकाज में सुधार किया जाना चाहिए।

Powered by myUpchar

error: Share this page as it is...!!!!
Exit mobile version