जम्मू कश्मीर में आप भी खरीद सकते हैं सम्पत्ति, जानें कैसे..
नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) में कोई भी संपत्ति खरीदने के लिए स्वतंत्र है। सरकार ने अक्टूबर 2020 में जम्मू और कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश 2020 शीर्षक से एक अधिसूचना जारी की थी। कृषि भूमि को छोड़कर, कोई भी जम्मू-कश्मीर के नगरपालिका क्षेत्रों में संपत्ति खरीद सकता है, चाहे वह उस राज्य का निवासी ना हो। राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (National Generic Document Registration System) (NGDRS) के जरिए जम्मू-कश्मीर में अब कोई भी भारतीय नागरिक वहां जमीन खरीद सकता है।
जम्मू कश्मीर भी राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (National Generic Document Registration System) (NGDRS) के साथ जुड़ गया है। अब प्रदेश में जमीन की खरीद-फरोख्त व स्टांप पेपर से जुड़ी पंजीकरण की मौजूदा ऑफलाइन प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई। स्टांप पेपर की जगह ई-स्टांप लेगी। इस प्रणाली से जुड़ने वाले देश के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू कश्मीर 10 केंद्र शासित प्रदेश है।
स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क
जम्मू—कश्मीर को पहले विशेष दर्जा दिया गया था, 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जे को वापस ले लिया गया और राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। अब यहां पर भारत के किसी भी राज्य का निवास यहां पर जमीन खरीद सकता है। अन्य राज्यों की तरह संपत्ति खरीदने के लिए स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान किया जाता है।
महिलाओं के लिए खास मौका
जम्मू-कश्मीर को उन राज्यों में गिना जा सकता है जहां स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क कम हैं। खासकर महिलाओं के लिए। संपत्ति मूल्य का 1.2% के रूप में लिया जाता है। केंद्र शासित प्रदेश में पंजीकरण शुल्क, यह दर केवल बिक्री के लिए लागू है।
स्वामित्व संपत्ति मूल्य के प्रतिशत के रूप में स्टाम्प शुल्क संपत्ति मूल्य के प्रतिशत के रूप में पंजीकरण शुल्क
पुरुषों
7% 1.2%
महिला 3% 1.2%
पुरुष + पुरुष 7% 1.2%
पुरुष + स्त्री 5% 1.2%
महिला + महिला 3% 1.2%
महत्वपूर्ण दस्तावेज:—
नीचे दिए गए दस्तावेजों की सूची है जो आपको जम्मू-कश्मीर में संपत्ति पंजीकृत करने के लिए अनिवार्य है।
— स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क भुगतान का चालान।
— क्रेता/विक्रेता/विक्रेता की पहचान का प्रमाण।
— संपत्ति का विवरण।
— दोनों पक्षों के पैन कार्ड विवरण।
— मुख्तारनामा, यदि कोई हो।
— विक्रय विलेख।
— जमीन का नक्शा।