जल और वन संसाधनों पर महिलाओं को देने होंगे अधिकार: वैभव सिंह

देहरादून(आरएनएस)। रुद्रप्रयाग जिले में बतौर डीएफओ रहने के दौरान जल संरक्षण के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले आईएफएस वैभव सिंह ने जल और वन संसाधनों पर महिलाओं को अधिकार देने की वकालत की। उन्होंने  कहा कि जल एवं वन संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड की महिलाएं सबसे बड़ी स्टेक होल्डर हैं। ऐसे में उन्हें ही सुरक्षा का जिम्मा दिया जाए।   आईएफएस वैभव सिंह ने कहा कि पहाड़ के जल स्रोतों से लेकर वनों से महिलाओं का सबसे बड़ा जुड़ाव है। चाहे घर के लिए पानी जुटाना हो या जानवरों के लिए चारे के साथ ही वन उपज का इस्तेमाल। हर मामले में महिलाओं का सबसे अधिक जुड़ाव है। महिला ग्रुप अधिक असरदार रहते हैं। उन्हें अधिकार दिया जाए। उन्हें ही सुरक्षा का जिम्मा दिया जाए। क्योंकि महिलाओं में मातृत्व की भावना अधिक रहती है। वे उसी भाव से पेयजल और वनों के संरक्षण की दिशा में बेहतर काम करेंगी। इसके लिए महिला समूहों से संवाद स्थापित किया जा रहा है।

सारा के जरिए रिचार्ज होंगे 12 हजार सूखे जल स्रोत
वैभव सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में जल स्रोतों के संवर्द्धन को स्प्रिंग शेड एंड रिवर रिजुवेशन अथॉरिटी (सारा) का गठन किया गया। अभी तक की जानकारी के अनुसार करीब 12 हजार स्रोतों के सूखने की बात सामने आई है। सारा के जरिए छह हजार स्रोतों को संवारने का काम किया जा रहा है। कहा कि तकरीबन 90 प्रतिशत आबादी पीने के पानी के लिए जल स्रोतों पर निर्भर है। इसी को ध्यान में रख कर डाटा बेस तैयार किया जा रहा है।

पेयजल योजनाओं के लिए संवारे जाएं पुराने जल स्रोत
आईएफएस वैभव सिंह ने कहा कि कहीं भी स्रोत आधारित पेयजल योजना को तैयार किए जाने से पहले स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाए। ऐसा न हो की पुराना स्रोत सूखने पर नए स्रोत से योजना तैयार की जाए। दूसरा स्रोत सूखने पर फिर तीसरे स्रोत पर पहुंचा जाए। बल्कि इसकी जगह पुराने स्रोत को ही सुधारा जाए। रुद्रप्रयाग में बतौर डीएफओ रहते हुए ऐसे 10 सूखे स्रोतों को संवार कर पेयजल योजनाओं से जोड़ा।

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