राजकीय मेडिकल कॉलेज को तीन माह से नहीं मिला प्राचार्य को वेतन

पिथौरागढ़। राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू होने से पहले ही सरकार ने प्राचार्य की नियुक्ति में तेजी तो दिखाई, लेकिन उन्हें तनख्वाह देने के लिए पैसा नहीं है। पिछले तीन माह से प्राचार्य को वेतन नहीं मिला है। अब, अपनी जमा पूंजी से खर्च चलाना उनकी मजबूरी हो गई है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावों की पोल, पिथौरागढ़ में स्वीकृत राजकीय मेडिकल कॉलेज खोल रहा है। भले ही बीते वर्ष मार्च में इस कॉलेज को स्वीकृति मिली हो, लेकिन इसका निर्माण शुरू होने से पहले ही पैसे की कमी आड़े आने लगी है। पिछले तीन माह से वेतन को तरस रहे राजकीय मेडिकल कॉलेज के पहले प्राचार्य इसका प्रमाण हैं। उनकी तैनाती अक्तूबर में की गई थी। तैनाती के तीन माह तक वेतन मिलता रहा, मगर तीन माह से उन्हें वेतन नहीं मिला। बता दें कि करीब 13 माह पहले मार्च 2020 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय टम्टा को पिथौरागढ़ में राजकीय मेडिकल कॉलेज खोले जाने का स्वीकृति पत्र सौंपा था। सीमांत लोगों के लिए यह राहतभरी खबर तो थी, सरकार के लिए भी उपलब्धि थी। पर, इतना समय बीतने के बावजूद 570 करोड़ की डीपीआर शासन में धूल फांक रही है।
सरकार तत्परता से काम कर रही है। अब तक का वेतन जल्द ही मिल जाएगा। मेडिकल कॉलेज की डीपीआर शासन में भेजी है। यह भी जल्द मंजूर होने की उम्मीद है। -डॉ. अरविंद बरौनिया, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़


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