राज्यपाल ने उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक सेब किस्मों के शोध पर बल दिया

आरएनएस ब्यूरो सोलन। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज शिमला के समीप क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र क्रेगनेनो मशोबरा का दौरा किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह केन्द्र डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी का एक महत्वपूर्ण संस्थान है, जहां सेब की विभिन्न किस्मों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने वैज्ञानिकों को इस संस्थान में सेब की अधिक पैदावार वाली उत्तम किस्मों के विकास पर कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र शीतोष्ण बागवानी में शोध और तकनीक को स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रदेश में विशेषकर सेब उत्पादित क्षेत्रों में फल उत्पादकों को विभिन्न किस्मों की शोध का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च घनत्व, उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक सेब की किस्मों पर शोध कार्य किया जाना चाहिए ताकि प्रदेश की सेब आधारित आर्थिकी को मज़बूती मिले। उन्होंने सेब के लिए 276, नाशपाती की 79 और चैरी की 46 किस्मों वाले जर्मप्लाज्म केन्द्र पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि बागवानी के सम्बन्ध में प्रशिक्षक, किसान, प्रशिक्षण और क्षेत्रों के दौरे से तकनीक को प्रयोगशाला से निकाल कर जमीनी स्तर पर स्थानांतरित करने पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
आर्लेकर ने केंद्र में स्थापित सेब बगीचे का दौरा किया और बगीचे में सेब की अच्छी पैदावार के लिए अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने प्रयोगशाला का भी निरीक्षण किया और संस्थान के उचित रख-रखाव के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों को सराहा। उन्होंने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत लगाए गए सेब बगीचे और केन्द्र द्वारा लगाई गई फूलों की विभिन्न किस्मों का भी अवलोकन किया तथा विभिन्न पहल और शोध कार्यों की सराहना की। राज्यपाल ने केंद्र परिसर में हिमालयन हाइपेरिकम का पौधा भी रोपित किया।
इससे पूर्व, कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने राज्यपाल का स्वागत किया और पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से बागवानी विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान हिमाचल को भारत के सेब राज्य के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। फल उत्पादक इस केन्द्र के परामर्श और अन्य सलाह सेवाओं पर भरोसा कर बागवानी कार्यों में इनका उपयोग कर रहे हैं।
निदेशक अनुसंधान डॉ. रविन्द्र शर्मा, क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के सह-निदेशक डॉ. पंकज गुप्ता, वैज्ञानिक और अन्य शोधार्थी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।