लैंगिक भेदभाव की चुनौतियों से निपटना वर्तमान समय की अहम जरूरतः प्रो विजयारानी ढ़ौडियाल

ऑनलाईन महिला हिंसा, साइबर अपराध की घटनाओं एवं उपायों पर किया मंथन

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन एवं इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन एजुकेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय बेबिनार के दूसरे दिन साइबर क्राइम, साइबर बुलीइंग, साइबर फिशिंग, ब्लूमिंग बढ़ती घटनाओं के कारणों एवं सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी दी। यह वेबिनार का मुख्य विषय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ऑन जेंडर स्टडीज रखा गया है।
वेबिनार के दूसरे दिन सोबन सिंह जीना विवि की शिक्षासंकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष और शिक्षाविद् प्रो विजयारानी ढ़ौडियाल ने जेंडर रूढ़िवादिता, भेदभाव की चुनौतियों एवं कारणों पर वेबिनार में जुड़े प्रतिभागियों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब तक सामाजिक अवसर एवं सामाजिक मानसिकता में ंपरिवर्तन नहीं आता महिला हिंसा, उत्पीड़न एवं असमानता बढ़ती ही जाएगी। उन्होंने बताया कि तमाम प्रकार की महिला हिंसा एवं शोषण के लिए नजदीकी रिश्तेदार की शामिल होता है। इसलिए इस प्रकार की घटनाएं सामने नहीं आ पाती है। बावजूद कई कानूनांे एवं प्रावधानों के होने के बाद भी महिला उत्पीड़न की घटनाओं में कमी नहीं आ पा रहीं है। इसके लिए महिलाओं को भी जागरूक नहीं होना चाहिए वरन् पुरुषों को भी अपनी सामूहिक जिम्मेदारी समझकर इसे रोकने के लिए सार्थक प्रयास करने होंगे। शिक्षाविद् एवं वेबिनार की सह सहसंयोजक प्रो भीमा मनराल ने विभिन्न आयोगों में महिला सुरक्षा एवं प्रावधानों के बारे में जानकारी प्रदान की। दूसरे दिन की संदर्भ दाता डॉ सुमन सूमी ने कार्यक्षेत्र में महिलाओं उत्पीड़न एवं शोषण की घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की।
संदर्भदाता डॉ सुमन ने ऑनलाइन धोखाधड़ी, साइबर अपराध के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार ऑनलाइन माध्यम से महिलाओं का शोषण और उत्पीड़न घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। सोशल सायइ्टों के माध्यम से साइबर अपराधी साइबर क्राइम, ठगी, ग्रूमिंग कर महिलाओं, किशोरियों को शिकार बना रहे है। उन्होंने उत्पीड़न से बचाव के कानूनी प्रावधानों, ऐप से मदद की भी जानकारी दी। बताया कि वर्तमान में रक्षा, हिम्मत आदि ऐप के माध्यम से महिलाएं कार्यक्षेत्र में होने वाले शोषण से बच सकती है। वेबिनार में डॉ रिजवाना सिद्दीकी, कार्यक्रम की समन्वयक डॉ संगीता पवार, कैहकशा खान, डॉ किरण सती, डॉ प्रीति सिंह, डॉ दीक्षा खंपा, डॉ दिनेश चंद्र कांडपाल, डॉ ममता कांडपाल, अर्चना गोयल,अर्चना सिंह, भावना गोस्वामी,भावना नकदली, दीक्षा पलड़िया, मनीषा पंत, माया जोशी, पूजा श्रीवास्तव, कमलेश सिंह, विदुषी जोशी सहित बीएड कॉलेजों के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं बीएड प्रशिक्षु ने प्रतिभाग किया।