ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र से नीट में प्रवेश लेने वालों की होगी जाँच पड़ताल

फर्जी प्रमाण पत्र को लेकर भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने जगाई आशंका निदेशक चिकित्सा शिक्षा ने सभी प्राचार्यों को पड़ताल के दिए निर्देश

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के आधार पर नीट पीजी काउंसलिंग में प्रवेश लेने वालों की पड़ताल होगी। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान की मुख्य सचिव से की गई शिकायत के बाद निदेशक चिकित्सा शिक्षा ने जांच पड़ताल के आदेश दे दिए हैं।
मुख्य सचिव को भेजी शिकायत में भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने कहा कि ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र धोखाधड़ी से प्राप्त किए जा रहे हैं। नीट पीजी समेत अन्य स्थानों में भी इस प्रमाण पत्र का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। पंजाब में नीट पीजी काउंसलिंग समिति ने ऐसे मामलों की जांच शुरू कर दी है। महाराष्ट्र में ये मामला हाईकोर्ट में चला गया है। जम्मू और कश्मीर में भी ईडब्ल्यूएस की जांच चल रही है।
कहा कि नीट पीजी काउंसलिंग के कई मामलो में आवेदक राज्य सरकार के साथ बांड के तहत अनुबंध पर काम कर रहे हैं। बाकायदा वेतन ले रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी काम कर रहे हैं। इसका भी वेतन ले रहे हैं। इस वेतन को घोषित नहीं किया जा रहा है। परिवार की आय आठ लाख से कम होने का झूठा हलफनामा दिया जा रहा है। इन अधिकतर छात्रों ने निजी कॉलेज से एमबीबीएस किया है। भारी भरकम फीस जमा कराई है। ऐसे लोग भी पीजी नीट के लिए ईडब्ल्यूएस क्षेणी में आवेदन कर रहे हैं।

प्राचार्यों को पड़ताल के निर्देश
चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा. आशुतोष सयाना ने सभी मेडिकल कालेजों के प्रचार्यों को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्रों के दुरुपयोग से जुड़े मामलों की पड़ताल को पत्र जारी किया। कहा कि तीन सालों में की गई काउंसलिंग, भर्ती प्रक्रिया में ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्रों का लाभ पात्र अभ्यर्थियों को ही मिला हो, इसकी पुष्टि सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए।

प्रक्रिया पर उठाए सवाल
भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। कहा कि ज्यादातर प्रमाण पत्र स्वघोषित आधार पर बिना उचित जांच किए ही हलफनामा दाखिल कर दिए जा रहे हैं। कहा कि सम्पति के मानदंड़ों का मूल्यांकन नगर निगम करता है। नगर निगम के अधिकृत कर्मचारी कोई साइट विजिट नहीं करते। ईडब्ल्यूएस के लिए नगर निगम द्वारा जारी ऐसे प्रमाणपत्र के रिकॉर्ड भी उपलब्ध नही है। प्रमाण पत्र एक वर्ष के लिए जारी किया जाता है। कई नीट पीजी उम्मीदवार जानबूझकर अपनी नौकरी छोड़ देते हैं, ताकि उनके वेतन का हिस्सा प्राप्त आठ लाख की सीमा में शामिल न हो। इस आधार पर प्रमाण पत्र हासिल किए जा रहे हैं। प्रमाण पत्रों की राज्य परामर्श समितियों के स्तर पर जांच की जाए। ये सुनिश्चित हो कि केवल पात्र व्यक्तियों को ही लाभ मिले। घोखाधड़ी से लाभ लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। प्रमाण पत्र प्राप्त करने की एक विश्वसनीय विधि लागू की जाए।


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