दुनिया पर भुखमरी का साया

युक्त राष्ट्र की एजेंसियों के एक संयुक्त विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले साल इथियोपिया, दक्षिण सूडान, दक्षिण मेडागास्कर और यमन जैसे देशों में पांच लाख से अधिक लोगों के सामने भुखमरी का खतरा था।
अगर दुनिया का प्राथमिकताए सही होतीं, तो इस खबर से उसकी नींद उड़ जाती। लेकिन ऐसा नहीं होगा, क्योंकि दुनिया पर राज ऐसे लोगों का है, जो अपने अल्पकालिक स्वार्थ से आगे नहीं देख पाते। इसीलिए असल में ये खबर दब कर रह गई है। संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की एजेंसियों की नई रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष, आर्थिक संकट और कठोर मौसम के कारण दुनियाभर में भूख से पीडि़त लोगों की संख्या 2021 में और बढ़ गई। 2021 में भूख की समस्या पहले के मुकाबले अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक खाद्य उत्पादन को प्रभावित किया है। इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र ने भविष्य में और भी अधिक अंधकारमय तस्वीर का अंदाजा लगाया है। उसका कहना है कि ऐसे लोगों की संख्या “भयानक” स्तर तक पहुंचने वाली है, जो दैनिक भोजन से वंचित होंगे। सूरत यह है कि 52 देशों या क्षेत्रों में करीब 19 करोड़ लोगों को 2021 में अचानक खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।

2020 की तुलना में यह पीडि़तों की संख्या में चार करोड़ की वृद्धि को दर्शाता है। कांगो गणराज्य, यमन, अफगानिस्तान, इथियोपिया, सूडान, सीरिया और नाइजीरिया जैसे देशों में चल रहे संघर्षों ने वहां खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा और बढ़ा दिया। जलवायु परिवर्तन ने भी स्थिति को और खराब किया है। चरम मौसम की घटनाओं के कारण आठ देशों या क्षेत्रों में दो करोड़ 30 लाख से अधिक लोगों के लिए हालात और गंभीर हुए हैं। विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के कारण भुखमरी पैदा हो सकती है। रूस और यूक्रेन आवश्यक कृषि उत्पादों के प्रमुख निर्यातक हैं, जिनमें गेहूं और सूरजमुखी के तेल से लेकर खाद तक शामिल हैं। यूक्रेन युद्ध ने मार्च में विश्व खाद्य कीमतों को सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा दिया है। तो संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में भूख की समस्या को रोकने के लिए अतिरिक्त धन जुटाने का आह्वान किया है। मगर असल सवाल है कि इसे सुना किसने है?