विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा आनलाईन आयोजित किया गया किसान मेला

भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में आज दिनांक 21.10.2020 को कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सामाजिक दूरी बनाते हुए डिजिटल प्लेटफार्म पर वर्चुअल आनलाइन रबी किसान मेले का आयोजन जूम एप द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ परिषद गीत से किया गया तथा इसके पश्चात् संस्थान के कार्यो के प्रदर्शन हेतु संस्थान के चलचित्र का प्रस्तुतिकरण किया गया। किसान मेले के मुख्य अतिथि डाॅ0 एच. एस. गुप्त, पूर्व महानिदेशक, बोरलाॅग इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशिया रहे। उन्होनें सर्वप्रथम संस्थान के निदेशक एवं समस्त कार्मिकों को इस विषम परिस्थिति में भी किसान मेला आयोजन करने हेतु बधाई दी। साथ ही उन्होनें देश के किसानों को भी धन्यवाद् ज्ञापित किया और कहा कि इस कोविड-19 महामारी के दौरान भी उनके द्वारा सराहनीय कार्य किया गया। उन्होनें कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि तकनीकों को आगे बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। किसान भाईयों को तकनीकी ज्ञान तो है किन्तु आगे आने वाले समय में कृषि उत्पाद के विपणन एवं मूल्य संवर्धन पर प्रशिक्षण की अत्यंत आवश्यकता होगी जिससे कि किसानों की आय में वृद्धि हो सके। कृषकों को परंपरागत फसलों के साथ-साथ उच्च आय वाली फसलों को अपनाने पर बल दिया गया। उन्होनें संस्थान द्वारा विकसित पोर्टेबल पोलीहाउस को अपनाकर बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन हतेु किसानों से आग्रह किया। उनके द्वारा पोली टैंक तकनीकी का प्रयोग कर पानी का संरक्षण, उपयोग व प्रबंधन पर बल दिया गया। उन्होनें किसानों से फसल बीमा कराने की अपील की।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक एवं वैज्ञानिकों द्वारा संस्थान द्वारा अंगीकृत गावं भगरतोला के प्रतिरूप बनाये जाने की भी आवश्यकता बतायी गई। उन्होनें कहा कि उत्तर पश्चिमी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों के किसानों को संस्थान का सहयोग प्राप्त हो रहा है तथा वे सफलता की ओर अग्रसर हो रहे हैं। किसानांे को संस्थान द्वारा विकसित लघु यंत्रों का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि परिश्रम में हो रहे ह्रास को कम किया जा सके। वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को स्वयं सहायता समूह बनाने, किसानों के उत्पाद के विपणन व मूल्य सवंर्धन हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए। उनके द्वारा किसानों से पांच महत्वपूर्ण बिन्दुओं यथा उन्नत बीज, कृषि यंत्र, जल संरक्षण, पालीहाउस का उपयोग एवं संस्थान से निरंतर सम्पर्क में रहने की सलाह दी गई।
किसान मेले के अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त ने सभी अतिथियों एवं किसानों का स्वागत करते हुए उन्हें संस्थान की गतिविधियों से अवगत कराया तथा विगत वर्ष में संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के विषय में बताया। उन्होनें कहा कि विगत वर्ष में संस्थान द्वारा चार नवीन किस्में विमोचित तथा 9 किस्में जारी की गयी हैं। तत्पश्चात् विभिन्न विभागाध्यक्षों एवं अनुभागाध्यक्षों द्वारा संस्थान की उन्नत तकनीकियों का प्रस्तुतीकरण किया गया। मुख्य कृषि अधिकारी, मुख्य उद्यान अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला विकास प्रबंधक नाबार्ड द्वारा विभिन्न परियोजनायों के अन्तर्गत किसानों को दी जा रही अनुदान के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर संस्थान के कोरोना योद्धाओं, श्री कमल पाण्डे, श्री बृजमोहन मिश्रा एवं श्री अमित कुमार को सम्मानित किया गया।

संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की प्रजातियों नामतः वीएल मसूर 148 एवं वीएल मटर 61 का लोकार्पण भी कृषकों हेतु किया गया। इसके पश्चात् संस्थान द्वारा प्रकाशित तकनीकी बुलेटिन ‘‘पर्वतीय क्षेत्रों की पारम्परिक फसलों का उन्नत उत्पादन एवं कटाई उपरान्त प्रसंस्करण तकनीकी द्वारा आय सृजन’’ तथा प्रसार प्रपत्र ’’टमाटर की फसल में पिनवर्म (टूटा एब्सालेूटा) का समेकित प्रबन्धन‘‘ का विमोचन किया गया। विभिन्न किसानांे द्वारा उनके प्रक्षत्रे मंे चलाये जा रहे संस्थान की विभिन्न तकनीकियों से हो रहे लाभ को सफलता की कहानी के रूप में बताया गया। इस अवसर पर संस्थान के पूर्व निदेशक डाॅ. ए. के. श्रीवास्तव, डाॅ. जे. सी. भट्ट तथा सी.एस.के.-एचपी. के.वी., पालमपुर एवं औद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन (हि.प्र) के निदेशक तथा संयुक्त निदेशक प्रसार साथ ही उत्तर पश्चिमी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों के विभिन्न अधिकारी गण भी डिजिटल माध्यम से सम्मिलित हुए तथा उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी। संस्थान के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी भौतिक/डिजिटल माध्यम से उपस्थित रहे। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों से 500 से अधिक कृषकों ने आनलाइन प्रतिभाग किया एवं विभिन्न रबी फसलों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त की। उक्त मेले में आयोजित आनलाइन कृषक गोष्ठी में पर्वतीय कृषि से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी साथ ही कृषकों की विभिन्न समस्याओं का कृषि वैज्ञानिकों द्वारा त्वरित समाधान किया गया।
किसान मेले में कार्यक्रम का संचालन डा. कुशाग्रा जोशी एवं धन्यवाद प्रस्ताव डा. जे0 के0 बिष्ट ने किया।


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