मुख्‍यमंत्री के सामने मित्र पुलिस की नाक कटा दी दरोगा ने

देहरादून। मित्र पुलिस कही जाने वाली उत्तराखंड की खाकी अपने कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने लगी है। अब एक बार फिर से खाकी का बदरंग चेहरा सामने आया है। मामला उस वक्‍त का है जब मुख्‍यमंत्री के सामने ही एक दरोगा ने शर्मनाक हरकत करते हुए कार्यक्रम की कवरेज के लिए गये पत्रकार को अपराधियों की तरह धक्‍के मार कर कार्यक्रम स्‍थल से बाहर निकाल दिया। मामला यहीं शांत नहीं हुआ दरोगा ने धमकी तक दे डाली की ज्‍यादा बोलेगा तो ठोक दूंगा।
इस दरोगा का नाम है हर्ष अरोड़ा। ये वही हर्ष अरोड़ा है जो कुछ माह पहले एक भू माफिया से लाखों रूपये लेने  के आरोप में डीजीपी ने निलंबित कर दिया था। इस उस समय यह दरोगा हर्ष अरोड़ा पटेलनगर थाने की आईएसबीटी  चौकी प्रभारी थे और  तिब्बती फाउंडेशन प्रतिनिधि मंडल ने डीजीपी अशोक कुमार से शिकायत की, जिसके बाद डीजीपी ने मामले में मुकदमा दर्ज न करने को लेकर आईएसबीटी चौकी प्रभारी हर्ष अरोड़ा को तत्काल निलंबित करते हुए लाइन हाजिर कर दिया था लेकिन दुर्भाग्‍य यह रहा कि इसके बाद इस दरोगा फिर से प्रभार संभालते हुए हाथीबडकला चौकी का प्रभारी बना दिया और फिर परिणाम वही हुआ आखिर भू माफिया से सांठगांठ और अपने अधिकारियों की बात न मानने के आरोप में हर्ष अरोड़ा को पुलिस कार्यालय में अटैच कर दिया। हर्ष अरोड़ा पर लगातार भू माफियाओं से मिली भगत और सरकारी जमीनों पर कब्‍जा करने के कई आरोप लगे। चमोली जिले में तैनाती के दौरान भी हर्ष अरोड़ा अपनी गुंडई के चलते चर्चाओं में रहा। इसी के चलते तत्‍कालीन डीआईजी अजय रौतेला ने हर्ष अरोड़ा को निजी व्‍यय पर देहरादून भेजा।
 उत्‍तराखण्‍ड पुलिस की जो परिकल्‍पना राज्‍य स्‍थापना के बाद तत्‍कालीन डीजीपी अशोक कान्‍त शरण ने की थी वह अब कही खो सी गयी है। राज्‍य गठन के बाद जब उत्‍तर प्रदेश से यह राज्‍य अलग हुआ तो उस समय यूपी पुलिस की गुंडा वाली छवि को वहीं छोड़कर तत्‍कालीन डीजीपी ने उत्‍तराखण्‍ड में पुलिस को मित्र बनाने का सपना संजोया ताकि पुलिस और जनता के बीच संवादहीनता कम हो और राज्‍य अपराध मुक्‍त हो सके लेकिन आज  हर्ष अरोड़ा जैसे दरोगा मित्र पुलिस को गुण्‍डा पुलिस बनाने लगे हुए हैं। भू माफियाओं से सांठगांठ के चलते हटाये जाने वाले इस तरह के दरोगा पुलिस की वर्दी को सिर्फ जनता में खौफ पैदा करने का सांधन मानने लगे हैं। ये जनता को कुछ भी नहीं समझते हैं और न ही अपने अधिकारियों की सुनते हैं। इस तरह  के दरोगा लगातार पुलिस की छवि खराब कर अधिकारियों के के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। कोतवाली विकासनगर हो या फिर चौकी लक्‍खीबाग या खुड़बुड़ा विवादों से हर्ष का पुराना नाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि हर बार इस दरोगा को लाईन भेजा जाता है और फिर जुगाड़ लगाकर ये चौकी या थाने में पोस्टिंग पा जाता है। पुलिस के आला अधिकारी इस तरह के दरोगाओं से पुलिस की छवि को खराब करने से कैसे बचायेंगे ये तो भविष्‍य के गर्भ में बंद है। इस बात में कोई दो राय नही है कि एक दरोगा द्वारा खुलेआम गुंडई करना और वो भी मुख्‍यमंत्री के कार्यक्रम में यह राज्‍य पुलिस की नाक कटाने से कम नहीं है। ऐसे में पुलिस के अधिकारी मित्र पुलिस की छवि को किस तरह से कायम रख पायेंगे यह सोचने वाला विषय है।


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