कोरोना को लेकर स्थिति भयावह होती जा रही है उत्तराखण्ड में

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना को लेकर स्थिति भयावह होती जा रही है। मैदान से लेकर पहाड़ तक अब मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिस कारण एक्टिव केस का बोझ भी लगातार बढ़ रहा है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में प्रति एक लाख व्यक्ति पर कोरोना के 771 सक्रिय मामले हैं। प्रति एक लाख व्यक्ति पर यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश से सात गुना ज्यादा है। देश में उत्तराखंड का सातवां स्थान है, जबकि उत्तर भारत और हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड पहले स्थान पर है।

उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला पंद्रह मार्च को सामने आया था। तब से अब तक प्रदेश ने इस मोर्चे पर कई उतार चढ़ाव देखे हैं। साल की शुरुआत में आंकड़ों में आ रही गिरावट से न केवल सिस्टम बल्कि आम आदमी भी सुकून महसूस करने लगा था। पर कोरोना की दूसरी लहर ने अब कोहराम मचा रखा है। राज्य में पिछले आठ दिन से लगातार संक्रमण दर 20 फीसद से ऊपर है। जबकि नौ दिन से लगातार हर दिन सौ से ज्यादा मरीजों की मौत हो रही है। अब कम्यूनिटी फॉर सोशल डेवलपमेंट के आकलन से सामने आया है कि उत्तराखंड में जनसंख्या के लिहाज से सक्रिय मामलों का बोझ बहुत ज्यादा है।

संस्था के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि मैदान में तो फिर भी सरकारी के साथ निजी अस्पताल हैं, मगर जिन पहाड़ों की तरफ कोरोना अब पैर पसारता दिख रहा हैं, वहां संसाधनों का घोर अभाव है। सक्रिय मामले बढऩे का सीधा मतलब है हेल्थ सिस्टम पर अत्याधिक दबाव व जनसंख्या के लिहाज से इंतजाम कम पडऩा। राजधानी के हालात देखें तो यहां ऑक्सीजन व आइसीयू बेड के लिए मरीज व तीमारदारों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहाड़ में हालात क्या होंगे।

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