कॉलेज आने के लिए कोविड टेस्ट रिपोर्ट व अभिभावकों का सहमति पत्र जरूरी

देहरादून। उत्तराखण्ड में मंगलवार से विश्वविद्यालय और महाविद्यालय खुलने जा रहे हैं। फिलहाल कॉलेज में प्रेक्टिल सब्जेक्ट वाले छात्रों को आने की अनुमति दी जा रही है। वह भी 30-30 या 50-50 के बैच में ही छात्र कॉलेज में आ सकेंगे। उत्तराखण्ड सरकार ने 15 दिसंबर से कॉलेज और यूनिवर्सिटी खोलने का निर्णय लिया है। जिसके बाद से कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में सेनेटाइजेश का कार्य भी चल रहा है। वहीं छात्रों को कक्षा में छह फीट की दूरी पर बैठाने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। वहीं कॉलेज प्रबंधन में दूसरे राज्यों से आने वाले छात्रों के लिए कोविड जांच जरूरी कर दी है। इसके साथ ही छात्रों को साथ में अभिभावकों का सहमति पत्र भी लाना जरूरी होगा। इधर सरकार और कॉलेज प्रबंधन कोरोना संक्रमण के बढ़ते कहर को देखते हुए कोविड जांच को जरूरी मान रहे हैं तो वहीं छात्र संगठन कोविड जांच का खर्चा सरकार द्वारा वहन किए जाने की मांग कर रहे हैं। विदित हो कि बाहरी राज्यों से आने वाले छात्रों के लिए कोविड जांच अनिवार्य की गई तो कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। छात्र संगठन इस निर्णय पर तो राजी हैं लेकिन इसका खर्चा छात्रों पर डालने की बजाय सरकार द्वारा ही उठाए जाने की मांग संगठनों द्वारा की जा रही है। जिस कारण तमाम छात्र संगठन आवाज उठा रहे हैं। हालांकि कल से कॉलेज और यूनिवर्सिटी खुलने वाली हैं और प्रेक्टिकल सब्जेक्ट वाले छात्रों को प्रेक्टिकल कॉलेज आना ही होगा। ऐसे में अगर वे सरकार के भरोसे रहते हैं तो इन दिनों मेें होने वाली पढ़ाई का उनका नुकसान होगा ही साथ ही वे अपने सहपाठियों से भी पिछड़ जाएंगे। कॉलेज और यूनिवर्सिटी के लिए जारी एसओपी के तहत छात्रों को कॉलेज आने और कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जा रही है। कोविड टेस्ट रिपोर्ट नहीं लाने पर छात्रों के सामने समस्या खड़ी हो सकती है।

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