छात्रों ने नाटक और गीतों के जरिये सामाजिक मुद्दों को भी उठाया

देहरादून। रिंग रोड स्थित किसान भवन में गुरुवार को आयोजित दो दिवसीय उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव का गुरुवार को समापन हुआ। प्रदेशभर से चयनित छात्र-छात्राओं ने अपनी-अपनी लोकभाषा में शानदार प्रस्तुतियां दीं। अल्मोड़ा की हर्षिता ने सकुना दे…, पौड़ी की चित्रा पाठक ने गढ़वाली मांगल गीत, थान टिहरी की छात्रा वैष्णवी ने जौनपुरी मांगल गीत गाकर सबको मंत्रमुग्ध किया। राइंका आराकोट (उत्तरकाशी) के छात्रों ने बंगाणी भाषा में नाट्य संवाद और हारूल गीत मोड़े मुड़ाये, राजा कैन मोड़ाये… गाकर किया। थत्यूड़ की छात्रा मानसी, बबीता, वैष्णवी और आरजू ने नाट्य संवाद में शानदार अभिनय किया। कार्यक्रम में थारू, रंवाल्टी, रं-ल्लू, बंगाली, पंजाबी, बावरी आदि भाषाओं में भी छात्र-छात्राओं ने मनमोहक प्रस्तुति दी। विशिष्ट अतिथि लोकगायिका पद्मश्री बसंती बिष्ट ने कहा कि हम अपनी रीति-रिवाजों और संस्कृति के धनी हैं। हमें नई पीढ़ी को परंपरागत पद्धति को सीखाने की जरूरत है। उन्होंने गोरिया देवता और नृसिंग देवता के जागर जल में विष्णु, तल में विष्णु गाकर दर्शकों को भावविभोर किया। अपर सचिव शिक्षा मेजर योगेन्द्र यादव ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम निरंतर होने चाहिए, जिससे प्रतिभा को अधिक सींचा जा सके। निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण (एआरटी) सीमा जौनसारी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों में लोक संस्कृति के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने का अवसर देते हैं। अपर निदेशक एससीईआरटी डॉ. आरडी शर्मा ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को संस्कृति से जोड़ने में कारगर साबित होंगे। कार्यक्रम समन्वयक कैलाश डंगवाल ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन गिरीश बडोनी, ओम बधानी, कामाक्षा मिश्रा, डॉ. नंद किशोर हटवाल, डॉ. देवकी नंदन भट्ट और डॉ. मोहन बिष्ट ने किया। इस मौके पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा आरके कुंवर, एससीईआरटी विभागाध्यक्ष प्रदीप रावत, संयुक्त निदेशक आशारानी पैन्यूली, उप निदेशक रायसिंह रावत, एनसीईआरटी दिल्ली से डॉ. निधि, डॉ. उमेश चमोला, हरीश बडोनी, सचिन नौटियाल, शिव प्रकाश वर्मा, डॉ. ऊषा कटियार, डॉ. रमेश पंत, डॉ. आलोक प्रभा पांडे, सोहन नेगी, डॉ. हरीश जोशी आदि मौजूद रहे।