देहरादून के नामी गिरामी कॉलेज में छात्रों को कोरियर के माध्यम से भेजा गया था नशा
श्यामपुर थाना पुलिस की पूछताछ में सामने आया मामला, लग्जरी कार में 1 किलो चरस के साथ पकड़े गए थे कॉलेज के दो छात्र
हरिद्वार। मां बाप बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों का एडमिशन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कॉलेज में इसलिए कराते हैं ताकि उनके बच्चे यहां पर पढ़ लिखकर अपना भविष्य संवार सके। लेकिन मां-बाप को नहीं पता कि इन कॉलेज में किस तरह से उनके बच्चों की देखभाल और पढ़ाई लिखाई कराई जा रही है। इतना ही नहीं पढ़ाई के नाम पर मां-बाप से अच्छी खासी रकम भी यह कॉलेज प्रबंधन तंत्र वसूल करता है लेकिन यहां पर पढ़ाई के नाम पर बच्चों को कुछ और ही मिल रहा है। जी हां अभी हाल में एक बिना नंबर की लग्जरी कार में देहरादून के नामी और गिरामी ग्राफिक एरा कॉलेज के दो छात्र नशे के साथ पकड़े गए हैं।
देहरादून के ग्राफिक एरा कॉलेज प्रबंधन तंत्र का छात्रों के प्रति लगता है कोई ध्यान नहीं है। कॉलेज में कैसे छात्रों के पास नशा पहुंच रहा है इसकी भी भनक कॉलेज प्रबंधन तंत्र को नहीं लग पाई है। जी हां यह बात हम इसलिए ठोक बजाकर कह रहे हैं क्योंकि अभी हाल ही में हरिद्वार के श्यामपुर थाना पुलिस ने रात्रि चेकिंग के दौरान एक बिना नंबर की लग्जरी कार i20 को पकड़ा था जिसमें तीन युवक सवार थे। जांच पड़ताल के दौरान उनके पास से 1 किलो चरस बरामद की गई थी जिसे वह यहां सप्लाई करने के लिए आ रहे थे। जब पुलिस ने इनसे कड़ाई से पूछताछ की तो इन्होंने पुलिस को चौंकाने वाली बात बताई थी। पुलिस पूछताछ में इन्होंने बताया था कि कॉलेज में कोरियर के माध्यम से उनके पास यह नशा आया था। अब यदि कॉलेज में कोरियर के माध्यम से छात्रों तक नशा पहुंच है तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि कालेज प्रबंधन के कई लोग इसमें शामिल न हो। बिना कॉलेज के मिलीभगत के चलते कॉलेज में नशा नहीं पहुंच सकता यह सभी जानते हैं। इस मामले को पुलिस विभाग ने भी गंभीरता से लिया है और इसकी जांच उच्च स्तरीय तरीके से किए जाने की बात भी सामने आई है। इन बड़े-बड़े कॉलेज में मां-बाप अपने बच्चों का एडमिशन और मोटी फीस इसलिए जमा करते हैं ताकि उनके बच्चे यहां पर पढ़ लिखकर अपना भविष्य सवार सके। लेकिन उन्हें नहीं पता उनके बच्चे यहां भविष्य संवारने नहीं बल्कि नशे की गृत में पहुंच रहे हैं। छात्रों के अभिभावकों को चाहिए कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कालेज प्रबंधन तंत्र से इस पर सवाल किया जाए ताकि समय रहते कॉलेज में इस तरह की कोई दोबारा पुनावृति न हो और इस पर रोक लग सके।