चांद पर आराम फरमा रहे विक्रम और प्रज्ञान, अब होगा बड़ा चमत्कार? सामने आ गई नई तस्वीर

नई दिल्ली। भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 ने पिछले महीने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था। इसके बाद विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान ने अपना काम भी पूरा कर लिया और तमाम तरह की नई जानकारियों इसरो को भेजीं। हालांकि, अभी चांद पर सो रहे और आराम फरमा रहे प्रज्ञान और विक्रम को लेकर इसरो को उम्मीद है कि ‘चमत्कार’ होगा और 22 सितंबर को फिर से प्रज्ञान काम करने लगेगा। इस बीच, साउथ कोरिया के लूनर ऑर्बिटर दानुरी ने शिव शक्ति प्वाइंट पर मौजूद विक्रम लैंडर की तस्वीरें भेजी हैं। जहां पर चंद्रयान-3 ने लैंडिंग की थी, उस जगह का नाम शिव-शक्ति प्वाइंट रखा गया है। वहीं पर लैंडर विक्रम मौजूद है। यह तस्वीर चांद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से दानुरी द्वारा खींची गई है।
कोरिया के विज्ञान,आईसीटी मंत्रालय और एयरोस्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बताया कि तस्वीरें 27 अगस्त को भारत के चंद्रयान -3 द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दुनिया की पहली सफल लैंडिंग के उपलक्ष्य में ली गई थीं। ‘शिव शक्ति पॉइंट’ लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 600 किलोमीटर दूर स्थित है। अपने टचडाउन के बाद से, रोवर ने व्यापक अनुसंधान और डेटा संग्रह किया है। मुख्य रूप से चंद्रमा की मिट्टी और वातावरण की संरचना का विश्लेषण किया।
चंद्रयान-3 मिशन ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी। इसने 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश किया और 17 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया। कोरियाई चंद्र मिशन दानुरी दिसंबर 2025 तक चंद्रमा की कक्षा में रहने के लिए निर्धारित है, जिसमें विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी मिशन शामिल हैं, जैसे कि चांद पर लैंडिंग स्थलों की तस्वीरें लेना और चंद्रमा की उत्पत्ति का अध्ययन करने के लिए चंद्र चुंबकीय क्षेत्र को मापना। चंद्रयान-3 लैंडिंग स्थल की दानुरी द्वारा ली गई तस्वीरें अंतरिक्ष जगत और अनुसंधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

चैन की नींद सो गया रोवर
इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के रोवर ने अपना असाइनमेंट पूरा कर लिया था, जिसके बाद इसे चैन की नींद सुला दिया गया। इसरो ने रोवर को सही तरीके से पार्क कर दिया और फिर उसे स्लीप मोड में डाल दिया। एपीएक्सएस और एलआईबीएस पेलोड्स को भी बंद कर दिया गया है। इसरो के मुताबिक इन पेलोड्स में दर्ज सभी डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी पर ट्रांसमिट किया जा चुका है। वहीं, रोवर प्रज्ञान की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। इसरो को उम्मीद है कि 22 सतंबर को जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फिर से सूर्य की रोशनी पड़ेगी तो हो सकता है कि फिर से वह जागने और काम करने में कामयाब हो जाए।