बिना टेंडर किए आईआईटी कानपुर को दे दिया लाखों का काम

देहरादून। प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के तहत 26 स्कूलों में टिंकरिंग लैब के लिए दो करोड़ 60 लाख रुपये का काम विभाग ने बिना टेंडर किए आईआईटी कानपुर को दे दिया। देहरादून निवासी रितेश कुमार की ओर से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा से मांगी गई सूचना से मामला सामने आया है। शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने प्रदेश के विभिन्न 26 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों  के लिए टिंकरिंग लैब मंजूर की थी।

हर स्कूल को 10 लाख रुपये प्रति स्कूल के हिसाब से लैब संबंधी उपकरण रोबोट चलाने के लिए सेंसर, रेपिड प्रोटोटाइपिंग टूल, मेकेनिकल, इलेक्ट्रीकल एवं मेजरमेंट टूल, प्रोजेक्टर हैंगिंग किट, प्रोजेक्टर स्क्रीन, प्रति स्कूल तीन लैपटॉप, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और मापन संबंधी उपकरण, प्रिंटर आदि उपकरण दिए जाने थे। लेकिन स्कूलों को लैब के लिए कुछ उपकरण मिले जबकि कुछ उपकरण अब तक स्कूलों में नहीं पहुंच पाए हैं। इसके अलावा शिक्षकों को इसका ऑफलाइन प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया।

युवा मन में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देना, कौशल विकास, छोटे बच्चों को उपकरण के साथ काम करने का मौका। शिक्षकों को शिक्षण में उपयोग किए जाने वाले नवीनतम उपकरणों और तकनीकों से लैस करना। प्रदेश के जिन स्कूलों में टिकरिंग लैब बनी है उसमें देहरादून के दो, अल्मोड़ा व बागेश्वर के दो-दो, चमोली, चंपावत, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी, पिथौरागढ़, टिहरी, उत्तरकाशी और ऊधमसिंह नगर जिले के स्कूल हैं। यदि बिना टेंडर किसी आईआईटी को करोड़ों रुपये का यह काम दिया जाना था तो प्रदेश में स्थित आईआईटी रुड़की, एनआईटी श्रीनगर आदि के माध्यम से भी यह काम कराया जा सकता था।

अधिकारी कहते हैं:-
पिछले साल की पीएबी (प्रोजेक्ट एप्रुबल बोर्ड) के वार्षिक प्लान में तय किया गया था कि आईआईटी कानपुर से काम करवाया जाएगा। जिसे मंजूरी मिल गई। आईआईटी कानपुर कोई निजी संस्था नहीं है। लैब के लिए जितना पैसा मिलना था उतना न मिलने से इसके लिए समस्त तय उपकरण नहीं भेजे जा सके हैं। जितना पैसा मिला उसी हिसाब से उपकरण भेजे गए। इसके लिए शिक्षकों को अब प्रशिक्षण दिया जाएगा। – बंशीधर तिवारी, शिक्षा महानिदेशक

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