भोजनमाताओं ने शिक्षा मंत्री से की मानदेय बढ़ाने की मांग
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विकासनगर। भोजनमाता संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने मानदेय बढ़ाए जाने समेत अन्य कई मांगों को लेकर शुक्रवार को शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से मुलाकात की। बताया कि एक ओर सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए कई योजनाएं संचालित करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी विद्यालयों में कार्यरत भोजनमाताओं को अल्प मानदेय दिया जा रहा है। जो भोजनमाताओं के आर्थिक शोषण के समान है। प्रतिनिधि मंडल ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि तीन हजार से कम मानदेय में काम करना श्रम कानूनों के भी विपरीत है। भोजनमाता संगठन लंबे समय से आठ रुपए प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार उनकी मांग को अनदेखा कर रही है। भोजनमाताओं को मानदेय के अलावा अन्य कोई सुविधाएं नहीं दी जाती है। कहा कि 65 वर्ष की आयु पर भोजनमाताओं को भोजनमाता कल्याणार्थ कोष से सम्मानजनक राशि देकर सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए। कई विद्यालयों में भोजनमाताओं से माली, सफाई कर्मचारी का काम भी लिया जा रहा है। जबकि कुछ विद्यालय भोजनमाताओं को सुबह विद्यालय खुलने से लेकर अवकाश तक रोके रखकर उनसे कार्य लेते रहते हैं, जो कि उनका उत्पीड़न है। इसके साथ ही शिक्षा मंत्री को बताया कि प्रदेश की सभी भोजनमाताओं को प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना और प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना से भी जोड़ा जाना चाहिए, जिससे कि उन्हें भी सरकारी योजनाओं को लाभ मिल सके। प्रतिनिधिमंडल में भोजनमाता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष उषा देवी, संरक्षक जगदीश गुप्ता, नीलू, उपासना, सुमित्रा डोभाल, माया भटनागर, सुषमा पाल आदि शामिल रहे।
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