भारत को मिलने वाला 36वां राफेल सबसे अधिक घातक

नई दिल्ली (आरएनएस)। फ्रांस अगले तीन महीनों तक भारत तो हर महीने तीन राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी देगा। इसके साथ ही दिसंबर 2022 तक 35 लड़ाकू विमान भारत को मिल जाएंगे। 36वें लड़ाकू विमान की डिलीवरी जनवरी में होगी। आपको बता दें कि 4.5 पीढ़ी के 26 राफेल लड़ाकू विमान पहले से ही अंबाला एयरबेस पर मौजूद हैं। तीन और डसॉल्ट निर्मित लड़ाकू विमान 13 अक्टूबर को अपने करीबी सहयोगी यूएई मिड-एयर रिफ्यूलर की मदद से जामनगर बेस पर उतरेंगे। नवंबर में तीन और और अन्य तीन दिसंबर में भारतीय वायु सेना में शामिल होने की उम्मीद है।
हालांकि, 36वां राफेल फाइटर अधिक घातक होगा। उसे भारत के द्वारा और अडवांस बनाया जाएगा। आपको बता दें कि राफेल को हैमर एयर टू ग्राउंड, एससीएएलपी जमीनी हमले में सक्षम बनाया गया है। ये लड़ाकू विमान अधिक ऊंचाई और अधिक सटीकता के साथ अधिक रेंज वाले उल्कापिंड मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम हैं। 36वें लड़ाकू विमान इजरायली मूल की कुछ टेक्नोलॉजी के साथ उतारने की तैयारी है। राफेल लड़ाकू विमान अधिक शक्तिशाली रेडियो अल्टीमीटर, रडार चेतावनी रिसीवर, कम बैंड जैमर, उड़ान डेटा रिकॉर्डर, उच्च ऊंचाई वाले इंजन स्टार्ट-अप, सिंथेटिक एपर्चर रडार, ग्राउंड मूविंग टारगेट इंडिकेटर, इन्फ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक, हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, मिसाइल अप्रोच वार्निंग सिस्टम और बहुत हाई-फ्ऱीक्वेंसी रेंज डिकॉय में दक्ष माना जाता है।
फ्रांस, भारत के सबसे करीबी रणनीतिक सहयोगियों में से एक, पहले ही भारतीय वायुसेना को राफेल के लिए उन्नत मिसाइलें और गोला-बारूद भेज चुका है। उल्का मिसाइल भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ है। हैमर और एससीएएलपी ने अंतिम-मिनट में टारगेट को भेदने में दक्ष है। यह रडार से बचने में भी माहिर है। इन हथियार प्रणालियों में कई मार्गदर्शन सुविधाएं होती हैं ताकि दुश्मन के पास मिसाइल को हवा से हवा या जमीन पर हमला करने का कोई मौका न हो और 70 किलोमीटर दूर से भी स्टैंड-ऑफ मोड में इस्तेमाल किया जा सके। भारतीय नौसेना अपने स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए अगले अगस्त में लॉन्च होने वाले राफेल-समुद्री लड़ाकू विमान के विकल्प की भी जांच कर रही है। वहीं, वायु सेना को राफेल की बढ़ी हुई क्षमता के कारण अपने लड़ाकू स्क्वाड्रन की ताकत को युक्तिसंगत बनाने के लिए कहा गया है।
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