बेहतर काम करने वाले निगम खुद ले सकेंगे वेतन भत्तों पर फैसला
देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड में बेहतर काम करने वाले वित्तीय रूप से मजबूत निगम अपने स्तर पर ही वेतन भत्तों का फैसला ले सकेंगे। सार्वजनिक उद्यम और निगमों को इसके लिए तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा। निगमों में प्रतियोगी भावना तैयार किए जाने को मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने निर्देश दिए। सचिवालय में हुई बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि सार्वजनिक उद्यम एवं निगमों को तीन श्रेणियों में बांटा जाए। बेहतर काम कर मुनाफे में रहने वाले सार्वजनिक उपकर्म और निगमों को श्रेणी ‘ए‘ में रखा जाए। औसत प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों और स्वायत्तशासी संस्थानों को श्रेणी ‘बी’ में रखा जाए। निम्न प्रदर्शन करने वाले सार्वजनिक निगम को ‘सी‘ श्रेणी में तय किया जाए। कहा कि अच्छा प्रदर्शन करने वाले निगम और संस्थानों को भत्तों की स्वतंत्रता दी जाएगी। वे अपने स्तर से निर्णय ले सकेंगे। ‘बी’ और ‘सी’ श्रेणी के सार्वजनिक उपक्रम और निगम बेहतर प्रदर्शन कर निर्धारित मानदण्डों को पूरा कर श्रेणी ‘ए‘ में आ सकेंगे। इससे निगमों में प्रतियोगी भावना जागृत होगी। उनके प्रदर्शन में सुधार आएगा। मुख्य सचिव ने सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो को मजबूत बनाते हुए 15 दिन में नियमित मीटिंग किए जाने के निर्देश दिए। कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं के कार्यों का प्रभावी ढंग से अनुश्रवण कर लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। इन विषयों के समाधान को केन्द्र सरकार की व्यवस्था को राज्य में भी लागू किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, अरविन्द सिंह ह्यांकी, विनय शंकर पाण्डेय, अपर सचिव ललित मोहन रयाल, रोहित मीणा, एमडी जल निगम एससी पंत, एमडी यूजेवीएनएल संदीप सिंघल, निदेशक वित्त यूपीसीएल नवीन गुप्ता आदि मौजूद रहे।
बोनस, डीए के फैसले को निगमों को करना होता है इंतजार
राज्य में बोनस, डीए का सबसे पहले लाभ राज्य कर्मचारियों को मिलता है। इसके बाद निगम कर्मचारियों को अपने लिए अलग से आदेश कराने को चक्कर लगाने होते हैं। कई बार आदेश कराने में कई साल तक गुजर जाते हैं। राज्य में अभी भी निगम कर्मचारियों को जनवरी 2023 को मंजूर हुए डीए का लाभ नहीं मिला है। इसी तरह कई निगमों में कर्मचारियों को अभी भी सातवें वेतन आयोग के अनुसार मकान किराया भत्ता नहीं मिलता है।