बैरागी अखाड़ों ने किया शाही स्नान

सबसे पहले कराया अखाड़ों के आराध्य को स्नान
भारत की महानता को दर्शाता है कुंभ मेला : श्रीमहंत राजेंद्र दास

हरिद्वार। कुंभ मेले के अंतिम शाही स्नान पर तीनों वैष्णव अनी अखाड़े बैरागी कैंप से हर की पौड़ी के लिए राजसी ठाठ बाट एवं बैंड बाजों के साथ निकले। सबसे पहले अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा उसके बाद अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा और अंत में अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के संतों ने कोविड नियमों मास्क पहनकर व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए क्रमानुसार गंगा स्नान किया। सबसे पहले तीनो अनी अखाड़ों के इष्टदेव भगवान हनुमान की प्रतिमा को स्नान कराया गया तथा भारत सहित पूरी दुनिया को कोरोनेा महामारी के प्रकोप से निजात दिलाने की प्रार्थना की गयी। इस दौरान श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कुंभ मेला सकुशल संपन्न होने पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि वैदिक सनातन धर्म के संरक्षक संत महापुरुषों से ही देश दुनिया में कुंभ मेले की पहचान है। विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुंभ मेला पूरे विश्व में भारत को महान बनाता है। अखाड़ों की गौरवशाली परंपरा है और संत महापुरुषों के दिव्य दर्शन से अभिभूत होकर विदेशी श्रद्धालु भक्त भी भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म को अपना रहे हैं। शाही स्नान पर पतित पावनी मां गंगा के अमृत समान जल में आचमन मात्र से व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार हो जाता है। निर्वाणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कोरोना काल जैसी विषम परिस्थिति में कुंभ मेले के भव्य आयोजन से पूरे विश्व में धर्म का एक सकारात्मक संदेश प्रसारित हुआ है। कुंभ मेला सनातन धर्म की महत्ता को देश दुनिया में दर्शाता है। देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा पर और पतित पावनी मां गंगा के तट पर संतों का सानिध्य सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। शाही स्नान के दिन मां गंगा के आचमन से आत्मा को उच्च लोको की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। दिगंबर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्ण दास नगरिया महाराज ने कहा कि कुंभ के दौरान स्नान करना साक्षात स्वर्ग दर्शन के समान है। समूल पापों का नाश करने वाली मां गंगा सभी को आशीर्वाद प्रदान कर सहस्त्र गुणा पुण्य फल प्रदान करती है। अपनी अंतरात्मा की शुद्धि हेतु सभी को इस पावन दिन स्नान अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक दृष्टि से कुंभ के काल में ग्रहों की स्थिति एकाग्रता तथा ध्यान साधना के लिए परम उत्कृष्ट होती है। महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा एवं महंत गौरी शंकर दास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला आध्यात्मिक मूल्यों में एक स्थाई विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। यदि कोई विविधता में एकता देखना चाहता है तो भारत में कुंभ मेले से और कोई बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता। मोक्ष प्राप्ति हेतु करोड़ों श्रद्धालु भक्त मेले के दौरान गंगा स्नान के लिए आते हैं और अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं। कुंभ मेला राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देकर सार्वभौमिक भाईचारे को बढ़ाता है। चर्तु संप्रदाय के श्रीमहंत दिनेश दास ने कुंभ मेला सकुशल संपन्न होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए मां गंगा से राष्ट्र की उन्नति व कोरोना के प्रकोप का समाप्त करने की प्रार्थना की। इस अवसर पर जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी रामचार्य महाराज, श्रीमहंत दिनेश दास, महंत फूलडोल दास, महंत रास बिहारी दास, महंत सनत कुमार दास, महामण्डलेश्वर जनार्दन दास, महंत रामजी दास, महामण्डलेश्वर सेवादास, महामण्डलेश्वर साधना दास, महंत रामरक्षि देवाचार्य, महंत देवाचार्य, महंत रामशरण दास, महंत प्रेमदास, महंत विष्णु दास, महंत प्रह्लाद दास, महंत रघुवीर दास, ब्रम्हांड गुरू अनंत महाप्रभु, महंत रामदास, महंत मोहन दास खाकी, महंत भगवान दास खाकी, महंत मनीष दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत अर्जुन दास, महंत अगस्त दास, महंत वैष्णव दास, महंत सुरेश दास, महंत ब्रह्मदास, महंत दिव्य जीवनदास, महंत रामकिशोरदास शास्त्री, महंत सुखदेव दास, बाबा हठयोगी, महंत ईश्वरदास, महंत शत्रुघ्न दास, नागा केशवदास, नागा विपुलदास, नागा जगदीश दास आदि सहित बड़ी संख्या में संत महंत शामिल रहे।