बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में अब इनकी तादाद में इजाफा हुआ

देहरादून।  बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में अब इनकी तादाद में इजाफा हुआ है या कमी आई है, इसे लेकर अक्टूबर से प्रारंभ होने वाली बाघ गणना में तस्वीर साफ होगी। वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से होने वाली इस गणना का खाका तैयार कर लिया है। बाघों के साथ इस मर्तबा पहली बार राज्य स्तर पर गुलदार भी गिने जाएंगे। इसके अलावा तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की गणना की जाएगी।

अखिल भारतीय स्तर पर उत्तराखंड में पिछली बाघ गणना वर्ष 2018 में हुई थी, जिसके नतीजे 2019 में घोषित किए गए। तब यहां कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत 12 वन प्रभागों में बाघों की संख्या 442 आंकी गई। संख्या के लिहाज से मध्य प्रदेश व कर्नाटक के बाद उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है। अब फिर से बाघ गणना के लिए समग्र कार्ययोजना तैयार की गई है।राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार कार्ययोजना के तहत राज्य में एक हजार मीटर की ऊंचाई तक बाघों के साथ ही गुलदारों की भी गणना की जाएगी।
एक से तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक गुलदार और तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिम तेंदुओं की गणना के साथ ही इन क्षेत्रों में मौजूद दूसरे जानवरों की मौजूदगी का आकलन भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार की गणना में खास बात ये है कि प्रदेश स्तर पर पहली बार गुलदारों की संख्या भी निकलकर सामने आएगी। पूर्व में गुलदारों की गणना सिर्फ टाइगर लैंडस्केप में बाघ गणना के साथ हुआ करती थी।

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुहाग ने बताया कि बाघ गणना अक्टूबर के पहले सप्ताह से होगी। इसे देखते हुए गणना कार्य में लगने वाले कार्मिकों के प्रशिक्षण और वन क्षेत्रों में गणना के लिए ग्रिड तैयार करने संबंधी कार्य सितंबर के पहले हफ्ते तक पूर्ण कराने का लक्ष्य रखा गया है।
गणना कार्य में कैमरा ट्रैप महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार टाइगर लैंडस्केप (कार्बेट-राजाजी टाइगर रिजर्व समेत 12 वन प्रभाग) में वर्तमान में करीब 400 कैमरे लगे हैं। इनकी संख्या बढ़ाकर 700 की जाएगी। इसी प्रकार एक हजार मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में 250 से 300 तक कैमरे लगाए जा रहे हैं। इनके माध्यम से वन्यजीवों की तस्वीरें कैद की जाएंगी।

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