‘बदलते वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर कार्यशाला आयोजित

अल्मोड़ा। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग में ‘बदलते वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी और आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन सोमवार को किया गया। संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ ने अपने उद्बोधन में सभी का अभिनन्दन करते हुए कहा कि पूरे विश्व में हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जो कि 70 प्रतिशत से अधिक लोगों की सम्प्रेक्षण का माध्यम है। उन्होंने कहा कि हमारा संस्थान हिंदी की प्रगति हेतु सदैव प्रयासरत है। संस्थान के विभिन्न प्रकाशन हिंदी में निकलते है। इसके अलावा विभिन्न प्रशिक्षण सामग्री भी हिंदी में प्रकाशित होती हैं जो कि पर्वतीय क्षेत्र के कृषकों तक संस्थान के शोध को पहुंचाने का उचित माध्यम है। कार्यशाला की मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता डॉ. ममता पन्त सहायक प्राध्यापिका, हिन्दी विभाग, एसएसजे विवि ने कहा कि हिन्द देश में हिन्दी भाषा अपने विचारों को व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। यह इतिहास को सम्प्रेषणीय बनाती है और इसका ऐतिहासिक महत्व है। देश में 45 प्रतिशत लोग इसे संपर्क भाषा के रूप में प्रयोग करते है तथा द्वितीयक भाषा के रूप में यह लगभग 70 प्रतिशत से भी अधिक लोगों द्वारा प्रयोग की जाती है। अमेरिका के 113 विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिनमें हिन्दी शिक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हिन्दी का प्रगामी प्रयोग किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। कार्यशाला में संस्थान के फसल सुरक्षा प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कान्त मिश्रा, सामाजिक विज्ञान की अनुभागाध्यक्ष डॉ. कुशाग्रा जोशी, समस्त वैज्ञानिक, अधिकारी, तकनीकी, प्रशासनिक व सहायक वर्ग के कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन संस्थान की मुख्य तकनीकी अधिकारी एवं प्रभारी राजभाषा अधिकारी रेनू सनवाल तथा धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. कृष्ण कान्त मिश्रा, प्रभागाध्यक्ष, फसल सुरक्षा द्वारा दिया गया।