बच्चे गोद लेने के लिए एक समान कानून की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस
नई दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सभी नागरिकों के लिए गोद लेने और संरक्षता का एकसमान कानून बनाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
उपाध्याय ने याचिका में गोद लेने और संरक्षकता के नियम में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने की मांग की है तथा धर्म, जाति, लिंग या जन्म के आधार पर भेदभाव को खत्म कर एकरूपता लाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि आजादी के 73 साल बाद और भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के 71 साल बाद भी मुसलमानों, ईसाईयों और पारसियों के लिए गोद लेने के कानून नहीं हैं। सभी के लिए एक समान कानून नहीं होने के कारण मुस्लिम, ईसाई, पारसी गार्डनशिप एंड वार्ड एक्ट, 1890 के तहत अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी सिर्फ पालन व देखभाल करने के लिए बच्चों को गोद ले सकते हैं। बालिग होने पर वह परिवार से संबंध तोड़ सकता है। इसके अलावा इस तरह के बच्चे के पास विरासत का कानूनी अधिकार नहीं होता है, जो नागरिकों में बहुत कठिनाई और भ्रम पैदा करता है। लिहाजा एकसमान कानून से इन समस्याओं से निपटा जा सकता है।
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