जब कोई मार्ग नहीं बचेगा तो योग, आयुर्वेद और पतंजलि की शरण में आना होगा

हरिद्वार। योगगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि पूरे विश्व में फैली ईर्ष्या, द्वेष, भय, आतंकवाद, घृणा, धार्मिक उन्माद, रोगों के घात-प्रत्याघातों से बचने के लिए जब कोई मार्ग शेष नहीं बचेगा तो योग, आयुर्वेद, अध्यात्म और पतंजलि की शरण में आना होगा। पतंजलि के संन्यासी वर्तमान में अलग-अलग सेवा प्रकल्प का नेतृत्व कर रहे हैं। यह गर्व का विषय है। पतंजलि से प्रेरणा लेकर और संन्यास मार्ग पर चलकर भावी संन्यासी राष्ट्रसेवा में अपनी आहुति देने के लिए तैयार हैं। सोमवार को संन्यास दीक्षा महोत्सव के छठे दिन योग गुरु स्वामी रामदेव ने भावी संन्यासियों को भावनात्मक स्तर पर पोषित किया। योग गुरु ने कहा कि ऋषि-ऋषिकाओं का वंश बढ़ाने के लिए, अपने ऋषियों के उत्तराधिकारी, ऋषियों के प्रतिनिधि बनने के लिए, योगधर्म, वेद धर्म, सनातन धर्म, संन्यास धर्म को राष्ट्रधर्म, युगधर्म और विश्वधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए भावी संन्यासी स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि और स्वामी रामदेव रूप में एक संन्यासी का दिव्य संकल्प और गौरव देखकर लोगों में पतंजलि और संन्यास के प्रति आस्था बढ़ी है। पतंजलि के माध्यम से देश, धर्म और संस्कृति के पुरोधा तैयार किए जा रहे हैं। स्वामी रामदेव की प्रेरणा से जल्द ही ऋषियुग का अवतरण होगा।
भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एनपी सिंह ने कहा कि विश्व के सारे धर्म, दर्शन, विज्ञान और साहित्य भी हमारे सनातन धर्म और शाश्वत् मूल्यों के समुच्चय की बैसाखी पर खड़े हैं। इस मौके पर महिला मुख्य केंद्रीय प्रभारी साध्वी देवप्रिया, आचार्यकुलम् की निदेशिका ऋतम्भरा शास्त्री, राकेश कुमार ‘भारत, स्वामी मित्रदेव, स्वामी ईशदेव, स्वामी सोमदेव, स्वामी हरिदेव, स्वामी जगतदेव, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देववरण्या, साध्वी देववाणी, साध्वी देवार्चना आदि उपस्थित रहीं।