
देहरादून(आरएनएस)। राज्य सरकार की ओर से अशासकीय महाविद्यालयों के वेतन मद के लिए 5713.83 लाख रुपये स्वीकृत किए जाने तथा प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा डॉ. रणजीत सिंह के आदेश के बावजूद राज्य के 21 अशासकीय महाविद्यालयों के लिए वेतन बजट शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी नहीं किया गया है। जिससे उनका नवंबर को वेतन अब तक नहीं मिल सका है। इससे शिक्षकों में रोष है। फेडरेशन ऑफ उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के महासचिव डा. यूएस राणा ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार पदों के सततीकरण की प्रक्रिया सभी महाविद्यालयों ने पूर्ण कर ली गई है, इसके बावजूद अक्टूबर माह के बाद से अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। वेतन भुगतान में हो रही इस गंभीर देरी से कर्मचारियों में भारी रोष है। महासंघ का आरोप है कि शासन-प्रशासन का अशासकीय महाविद्यालयों के प्रति सौतेला रवैया केवल वेतन तक सीमित नहीं है। जीपीएफ पर ब्याज की गणना विगत दो वर्षों से नहीं की गई है, जिसके कारण सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षकों को पूर्ण जीपीएफ भुगतान नहीं मिल पा रहा है।ग्रेच्युटी भुगतान भी सरकारी से कम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर तीन माह में निदेशालय वेतन के लिए बजट जारी करता है। लेकिन हर बार इसके लिए शिक्षकों को आंदोलन करना पड़ता है। लेकिन इस बार बड़ा आंदोलन किया जाएगा।


